कोलकाता : मतदाता प्रतिशत बढाने के लिए और ‘ईमानदार’ मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में धुआंधार प्रचार कर रहा है. इस प्रचार अभियान के तहत आयोग का प्रमुख ध्यान महिला और युवा मतदाताओं पर है. मतदाताओं से उनके मताधिकार का प्रयोग नि:शुल्क एवं निष्पक्ष तरीके से करने की अपील करने वाले संदेश सिर्फ दीवारों पर लगे पोस्टरों, होर्डिंगों और मीडिया विज्ञापनों में ही नहीं लगाए जा रहे हैं, ये संदेश यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से भी भेजे जा रहे हैं. लोक कलाओं से जुडे कलाकार भी लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं और यातायात सिग्नल पर भी मतदाताओं से अपील करने वाली घोषणाएं की जा रही हैं.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम हर उपलब्ध माध्यम का प्रयोग कर मतदाताओं को बता रहे हैं कि- ‘आपको मतदान करना चाहिए और आपको मतदान बिना किसी बाधा या प्रलोभन के करना चाहिए.’ हम ईमानदार मतदान को बडे तौर पर प्रोत्साहित कर रहे हैं. महिलाओं, युवा और विक्लांग मतदाताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.’ सिस्टमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (स्वीप) कार्यक्रम के तहत चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य मतदाताओं को शिक्षित बनाना और निर्बाध मतदान सुनिश्चित करना है. इस अभियान का बजट 21 करोड रुपये से अधिक है.
अधिकारियों ने कहा कि उनकी योजना मोबाइल नेटवर्क प्रदाताओं के साथ साझेदारी करने की है ताकि मतदाताओं को नियमित रुप से एसएमएस भेजे जा सकें. इन संदेशों के तहत उन्हें मतदान के दिन मतदान जरुर करने की बात भी याद दिलायी जाएगी. हालांकि पश्चिम बंगाल भारत का ऐसा राज्य है, जहां पारंपरिक रूप से मतदान प्रतिशत ज्यादा रहता है, फिर भी वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव (84.4 प्रतिशत) की तुलना में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव (82.22 प्रतिशत) में इस प्रतिशत में थोडी सी गिरावट देखी गयी थी. वर्ष 2006 के विधानसभा चुनावों में मतदान 81.7 प्रतिशत रहा था.
बाहरी प्रचार के लिए आयोग विभिन्न सरकारी विभागों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि उसे विभिन्न स्थानों पर लगे होर्डिंगों और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड पर विज्ञापन की जगह मिल सके. राज्य की प्रतीक बन चुकी 18 वर्षीय अनन्या को चुनाव आयोग के चेहरे के रूप में सभी बाहरी प्रचार सामग्री में दिखाया गया है. प्रचार अभियान के तहत जो संदेश देखे जा रहे हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
‘नोटे नोए, वोटे थाकूं’ (नोटों के लिए नहीं लेकिन वोटों के लिए रुको), ‘आंगुले वोटर चिन्हो, एक एबोंग अनोन्यो’ (हाथ पर मतदान का स्याही का निशान, एकमात्र और बेहद खास) और ‘आमरा मा ओ मेई, एबार आमरा एक साथे वोट देबो’ (हम मां और बेटी हैं. इस बार हम एकसाथ वोट डालेंगे). क्रिकेट सनसनी बने विराट कोहली को भी चुनाव आयोग के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में विज्ञापनों का हिस्सा बनाया गया है. दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2011 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया था.