– आसनसोल में पुलिस, सीआइएफ की संयुक्त छापेमारी के बाद मिली सफलता
– वर्ष 2010 में आवास से बरामद हुए थे जिलेटिन,डिटोनेटर
– नॉर्थ थाने ने लिया छह दिनों के रिमांड पर, हो रही है पूछताछ
आसनसोल : कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य व पुलिस मुठभेड़ में मारे गये किशनजी का इलाज करनेवाले माओवादी समर्थक 65 वर्षीय अवकाशप्राप्त चिकित्सक डॉ समीर विश्वास को गुरुवार की सुबह आसनसोल साउथ थाने के मोहिशिला से गिरफ्तार कर लिया गया.
काउंटर इंसरजेन्सी फोर्स (सीआइएफ), आसनसोल नॉर्थ थाने तथा आसनसोल साउथ थाने की पुलिस ने संयुक्त अभियान चला कर समीर को उसके बड़े भाई सुभाष विश्वास के आवास से गिरफ्तार किया. अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) सुरेश कुमार चडिवे ने कहा कि आसनसोल नॉर्थ थाना पुलिस को वर्ष 2010 में दर्ज मामले में उसकी तलाश थी. उसे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनिरुद्ध माइती की अदालत में पेश कर छह दिनों की रिमांड पर लिया गया है.
उससे पूछताछ की जा रही है. इधर डॉ विश्वास के भतीजे यीशू विश्वास तथा दामाद परिमल घोष ने दावा किया कि उन्होंने बुधवार की रात्रि में ही थाने में आत्मसमर्पण किया है.
एडीसीपी (सेंट्रल) श्री चडिवे ने कहा कि डॉ समीर को संयुक्त छापेमारी में मोहिशिला कॉलोनी स्थित चक्रवर्ती मोड़ के पास से गुरुवार की सुबह पांच बजे गिरफ्तार किया गया. आसनसोल नॉर्थ थाना में दर्ज कांड संख्या 67/2010 में उसकी तलाश थी. 19 अप्रैल, 2010 को पुलिस ने पचगछिया स्थित डॉ समीर के निवास (इसीएल क्वार्टर) में छापामारी की थी. लेकिन आरोपी डॉक्टर उस समय फरार हो गया था.
पुलिस ने उनके निवास से माओवादी साहित्य, आसनसोल पुलिस लाइन का नक्शा तथा जिलेटिन स्टीक, डिटोनेटर आदि बरामद किये थे. चिकित्सक के खिलाफ भादवि की धारा 121,121ए,122,123,124,124ए, 120बी तथा 3/4 आइइएक्ट के तहत मामले दर्ज हैं. उन्होंने कहा कि डॉ समीर इसीएल के पूर्व चिकित्सक हैं और वे पचगछिया स्थित हॉस्पिटल में चिकित्सा करते थे. उनके संबंध माओवादियों से रहे हैं. किन-किन माओवादियों से उनके संपर्क रहे तथा पिछले साढ़े तीन वर्षो में उनकी गतिविधियां क्या रही, इसकी जांच होगी.
की जा रही है. उन्हें एसीजेएम कोर्ट में पेश कर दस दिनों की रिमांड मांगी गयी है. कोर्ट ने छह दिनों की रिमांड मंजूर की है. माओवादियों के कैंप में करते थे इलाज : सूत्रों ने दावा किया कि पुलिस छापेमारी के बाद डॉ समीर फरार हो गये. इसके बाद वे जंगलमहल चले गये और वहां वे माओवादियों के कैंप में बीमार व घायल माओवादियों का इलाज करते थे. नवंबर 2011 में पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के बुड़िसोल के घने जंगल में संयुक्त बलों के अभियान में मारे जाने से पहले भी किशनजी अर्ध सैन्य बल के साथ हुए मुठभेड़ में घायल हो गये थे. उस समय डॉ समीर ने ही उनका इलाज किया था.