पंचायत व ग्रामीण विकास योजनाओं पर नहीं मिल रहा फंड : सुब्रत
कोलकाता : राज्य में केंद्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बेहतर कार्य हुआ है, लेकिन उसके बावजूद केंद्र सरकार बंगाल की उपेक्षा कर रहा है. केंद्र सरकार द्वारा फंड मुहैया नहीं कराये जाने के कारण राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण सड़क व अन्य विकासशील योजनाओं का काम रुका हुआ है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 8000 करोड़ रुपये देने की मांग करेगी.
यह जानकारी राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने दी. उन्होंने बताया कि इस संबंध में वह अगले एक सप्ताह के अंदर केंद्र सरकार को पत्र लिख कर यह राशि देने की मांग करेंगे. इस राशि को राज्य में चल रहे ग्रामीण विकास योजनाओं पर खर्च किया जायेगा. फंड की कमी के कारण अधिकांश योजनाओं का काम अधर में अटका हुआ है. स्थिति ऐसी पैदा हो गयी है कि राज्य सरकार सरकार ठेकेदारों को भी रुपये नहीं दे पा रही है, जिससे काम करनेवाले श्रमिकों तक उनका मेहनताना नहीं पहुंच पा रहा है.
कई योजनाओं पर राज्य सरकार अपने फंड से राशि दे रही है ताकि इस योजना को जारी रखा जा सके. उन्होंने केंद्र सरकार के आम बजट को नकारते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण भारत की जरूरतों का ध्यान में रख कर यह बजट नहीं बनाया है. केंद्र सरकार ने इस वर्ष ग्रामीण भारत के 8000 किमी का रास्ते का निर्माण करने का फैसला किया है, जबकि सिर्फ बंगाल में ही राज्य सरकार ने 12 हजार किमी रास्ते का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है.
केंद्र सरकार ने बंगाल को 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना के तहत 1000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं, लेकिन बंगाल में सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए और 2500 करोड़ रुपये की जरूरत है. इलाहाबाद से हल्दिया तक नदी मार्ग द्वारा यातायात व्यवस्था शुरू करने के संबंध में उन्होंने कहा कि कोलकाता पोर्ट व हल्दिया पोर्ट की स्थिति खराब है, पहले इन दोनों पोर्ट के विकास पर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इनके विकास के बिना इलाहाबाद से हल्दिया वाटर वे को कोई खास लाभ नहीं होगा.