सिलीगुड़ी : भूमाफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फरमान और सिलीगुड़ी में माकपा विधायक व मेयर अशोक भट्टाचार्य द्वारा इस मामले में तृणमूल पर दोषारोपण के बाद सिलीगुड़ी की सियासत गरमाने लगी है. माकपा विधायक के इस आरोप पर तृणमूल कांग्रेस बौखला उठी है. सिलीगुड़ी नगर निगम में विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस के नेता रंजन सरकार उर्फ राणा दा ने उल्टा अशोक भट्टाचार्य को ही भू-माफिया गिरोह का सरगना ठहराया है.
मेयर पर यह आरोप उन्होंने गुरुवार को निगम के अपने दफ्तर में प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के सामने लगाया. राणा दा ने मेयर पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि 34 वर्षों के वाम शासन में 20 वर्षों तक सिलीगुड़ी के विधायक एवं राज्य सरकार में नगर विकास मंत्री का दायित्व संभालने वाले अशोक के अगुवायी में जिस तरह सरकारी, गैर-सरकारी जमीनों, नदी के तटीय इलाकों पर जिस तरह गांव-गांव बसाया गया, वैसा भू-माफिया राज कभी नहीं हुआ.
उन्होंने सिलीगुड़ी के हिलकार्ट रोड स्थित माकपा का जिला पार्टी मुख्यालय ‘अनिल विश्वास भवन’ पर भी अंगुली उठायी है. राणा दा का आरोप है कि सिलीगुड़ी के तत्कालीन विधायक सह मंत्री अशोक के भू-माफिया राज में ही जबरन जमीन हथिया कर गैर-कानूनी तरीके से पार्टी दफ्तर का निर्माण अपने पावर के बल पर कराया. उन्होंने पार्टी दफ्तर के अन्य अहम राज का भी खुलासा करते हुए कहा कि जिस भूखंड पर अनिल विश्वास भवन की इमारत खड़ी है उसका न तो आज तक म्युटेशन है और न ही उस जमीन के वैध कागजात हैं.
राणा दा ने सिलीगुड़ी व आस-पास के इलाके के अलावा पूरे बंगाल में माकपा का जहां भी पार्टी दफ्तर है सभी को जबरन दखल करके स्थापित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि वाम शासन में तत्कालीन नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य के इशारे पर ही सिलीगुड़ी से सटे चांदमणी चाय बागान की जमीन में भी गड़बड़ी हुई. श्रमिकों के खून से सिंची गयी जमीन को अशोक भट्टाचार्य ने निजी कंपनी को कौड़ी के भाव दे दिया.
रंजन सरकार ने माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य पर वाम शासन में सिलीगुड़ी में हुए तमाम हत्या और हत्यारों के सरगना रहने का भी जघन्य आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि 1994 में नगर निगम चुनाव से ठीक पहले पार्षद उम्मीदवार सह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदय चक्रवर्ती की हत्या मुख्य आरोपी हाबुल घोष ने की थी.
बाद में हाबुल को बचाने के लिए हिलकार्ट रोड पर उसकी जमीन खरीदकर अशोक ने पार्टी मुख्यालय अनिल विश्वास भवन की नींव डाली. इसके लिए तीन दुकानदारों को मामूली रुपये देकर जबरन हटा दिया. इतना ही नहीं माकपा के ही विरोधी गुट के नेता सह एक नंबर वार्ड के पार्षद शिबू महतो, हॉकर दिवाकर मंडल, छात्र नेता सोनू पटेल, 1999 में तिलक बहादुर छेत्री की निर्मम हत्या समेत अन्य हत्या के मामलों में अशोक भट्टाचार्य ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े हैं.
उन्होंने ही अपने पावर के बल-बूते राजनैतिक फायदे के लिए तमाम हत्याएं करवायी और सभी मामलों के हत्यारों को कानूनी लफड़ों से केवल बचाया ही नहीं बल्कि सभी साक्ष्य व सबूत तक मिटा दिये गये. किसी भी मामलों में आजतक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. राणा दा ने तमाम मामलों की फाइले वापस खुलवाने और सभी हत्यारों को सख्त सजा दिलवाने के लिए जल्द सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर ज्ञापन देने की बात कही.
चेयरमैन की भूमिका पर उठाया सवाल
तृणमूल नेता रंजन सरकार ने सिलीगुड़ी नगर निगम में कथित हॉउसिंग फॉर ऑल घोटाले पर वाम बोर्ड के चेयरमैन दिलीप सिंह की भूमिका पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि बीते महीने 30 जुलाई को निगम की बोर्ड मीटिंग में हमने कथित घोटाले के लिए मुख्य आरोपी संबंधित विभाग के मेयर परिषद सदस्य (एमआइसी) जय चक्रवर्ती की इस्तीफा और निष्पक्ष जांच की मांग की थी.
उस दौरान चेयरमैन ने पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच हेतु 15 दिनों का समय मांगा था और इस बीच स्पेशल बोर्ड मीटिंग करने का भी आश्वासन दिया था. लेकिन आज 17 दिनों के बाद भी कुछ नहीं किया गया. उन्होंने चेयरमैन पर कथित आरोपियों को बचाने के लिए लोकतंत्र का गला घोटने का आरोप लगाया. साथ ही बोर्ड मीटिंग में चेयरमैन की अलग कुर्सी, दफ्तर बनाने व आरोपी एमआइसी के इस्तीफे की भी मांग रखी है. साथ ही पूरे घटनाक्रम से मुख्यमंत्री व अन्य संबंधित विभाग के मंत्रालय से भी जल्द कराने की चेतावनी दी है.
प्रेस-वार्ता के दौरान पार्षद कृष्ण चंद्र पाल, दो नंबर बोरो के चेयरमैन सह नौ नंबर वार्ड के पार्षद प्रदीप गोयल उर्फ कालू, पांच नंबर वार्ड की पार्षद दुर्गा सिंह, 13 नंबर वार्ड के पार्षद मानिक दे, 14 नंबर वार्ड की पार्षद श्रावणी दत्ता, 18 नंबर वार्ड के पार्षद निखिल सहनी व अन्य मौजूद थे.
चेयरमैन ने कानूनी ज्ञान लेने की दी सलाह
चेयरमैन दिलीप सिंह ने अपने ऊपर लगाये आरोपों पर पलटवार करते हुए विरोधियों को पहले कानूनी ज्ञान लेने की सलाह दी है. उनका कहना है कि राज्य नगरपालिका मामले के कानून की किताब में उन्होंने आजतक स्पेशल बोर्ड मीटिंग जैसा कोई शब्द नहीं देखा. बोर्ड मीटिंग आखिर बोर्ड मीटिंग ही होता है. स्पेशल बोर्ड मीटिंग क्या है.
बोर्ड मीटिंग की तारीख तय करने की जिम्मेदारी भी चेयरमैन की नहीं बल्कि मेयर की होती है और जवाबदेही भी केवल मेयर पर ही होता है. इस महीने की बोर्ड मीटिंग दो दिन बाद यानी शनिवार को निर्धारित की गयी है. चेयरमैन की जिम्मेदारी केवल निष्पक्ष तरीके से बोर्ड मीटिंग को संचालित करना होता है.
अशोक ने भी भरा हुंकार ‘आपकी सरकार, करो गिरफ्तार’
विरोधियों द्वारा लगाये गये भू-माफिया व हत्यारों के सरगना जैसे जघन्य आरोप पर मेयर सह विधायक अशोक भट्टाचार्य ने भी हुंकार भरा और कहा ‘आपकी सरकार, दम है तो करो गिरफ्तार’. सात वर्षों से मां-माटी-मानुष की तृणमूल की सरकार है. क्यों गिरफ्तार नहीं करती. किसी भी मामलों में आरोप लगाने से पहले विरोधी सबूत पेश करे.
उन्होंने चुटकी लेते हुए व्यंग्य किया कि उल्टे ममता सरकार में जितने भी घोटालों, भू-माफिया, सिंडिकेट राज जैसे जघन्य मामलों मे जो भी राजनैतिक नेता-कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि गिरफ्तार हो रहे हैं वह सभी सत्ताधारी तृणमूल के ही नेता-कार्यकर्ता हैं. अनिल विश्वास भवन पार्टी मुख्यालय के गैर-कानूनी होने आरोप पर भी पलटवार करते हुए उल्टा सेवक मोड़ के पास महानंदा पाड़ा स्थित तृणमूल कांग्रेस जिला पार्टी मुख्यालय विधान भवन पर ही सवाल खड़ा किया.
