फतेहपुर/लखनऊ : यूपी चुनावी मैदान में रविवार को पीएम मोदी ने पहली बार ऐसा बयान दिया है जिसको लेकर विरोधी उन पर चुनाव में ध्रुवीकरण का आरोप लगा रहे हैं. पीएम मोदी ने कल एक रैली में कहा कि अगर गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए. वे यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि अगर रमजान में बिजली आती है तो दीवाली में भी आनी चाहिए. सवाल ये है कि क्या यूपी में धर्म और जाति के नाम पर भेदभाव होता है?
विपक्षी दलों के पीएम के इस बयान को ध्रुवीकरण की कोशिश करार देते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग कर डाली है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी पीएम के बयान की आलोचना करते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के बयान का संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह स्पष्ट तौर पर आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में भेदभाव को सबसे बड़ा संकट मानते हुए रविवार को राज्य की सत्ताधारी सपा के अलावा कांग्रेस और बसपा पर भी जोरदार हमला बोला. मोदी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ का मतलब समझाते हुए कहा कि सबको उसका हक मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी माता की कोख से पैदा हुआ हो.
मोदी ने यहां एक चुनावी रैली में कहा, ‘गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए. रमजान में बिजली मिलती है तो दीवाली में भी मिलनी चाहिए. होली में बिजली मिलती है तो ईद पर भी मिलनी चाहिए. कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. सरकार का काम है भेदभाव मुक्त शासन चलाने का. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए . धर्म और जाति के आधार पर बिल्कुल नहीं.’
पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी कह रही है कि यूपी में हार के डर से नरेंद्र मोदी ध्रवीकरण का कार्ड खेलना चाह रहे हैं. आपको बता दें कि ध्रुवीकरण का आरोप चुनाव में हर पार्टी पर लग रहा है, बसपा प्रमुख मायावती खुलेआम मुस्लिम समाज से वोट मांग चुकी हैं वहीं अखिलेश मुस्लिम वोट पर अपना पहला हक जता रहे हैं.