15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

संविधान और महिला अधिकारों के खिलाफ है TRIPLE TALAQ पर केंद्र का प्रस्ताव : AIMPLB

लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित कानून के मसौदे को रविवार को महिलाओं के अधिकारों तथा संविधान के खिलाफ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की. बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की यहां हुई आपात बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बोर्ड के प्रवक्ता […]

लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित कानून के मसौदे को रविवार को महिलाओं के अधिकारों तथा संविधान के खिलाफ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की. बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की यहां हुई आपात बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी. बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरीयत तथा संविधान के खिलाफ है. इसके अलावा यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलंदाजी की भी कोशिश है. अगर यह विधेयक कानून बन गया, तो इससे महिलाओं को बहुत-सी परेशानियों और उलझनों का सामना करना पड़ेगा.
मौलाना नोमानी ने कहा कि केंद्र का प्रस्तावित विधेयक संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है. साथ ही यह तीन तलाक के खिलाफ गत 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले की मंशा के भी विरुद्ध है. केंद्र सरकार उससे काफी आगे बढ़ गयी है. मौलाना नोमानी ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, किसी भी मुस्लिम विद्वान या महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़नेवाले किसी भी संगठन से कोई राय मशविरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि जिस तलाक को उच्चतम न्यायालय ने अवैध बताया था, उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है. सवाल यह है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं, तो सजा किसे दी जायेगी.

मौलाना नोमानी ने कहा कि बोर्ड की केंद्र सरकार से गुजारिश है कि वह अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे. अगर सरकार को यह बहुत जरूरी लगता है, तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले. उन्होंने बताया कि बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बोर्ड की भावनाओं को पहुंचायेंगे और तीन तलाक संबंधी विधेयक को वापस लेने का आग्रह करेंगे. नोमानी ने कहा कि यह महसूस किया गया है कि तीन तलाक रोकने के नाम पर बने मसौदे में ऐसे प्रावधान रखे गये हैं, जिन्हें देख कर यह साफ लगता है कि सरकार शौहरों (पति) से तलाक के अधिकार को छीनना चाहती है. यह एक बड़ी साजिश है. उन्होंने कहा कि विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत के अलावा तलाक की अन्य शक्लों पर भी प्रतिबंध लगा दिया जायेगा. बोर्ड की वरिष्ठ महिला सदस्य अस्मा जहरा ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में मुस्लिम महिलाओं के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा कि जैसा कि विधेयक के मसौदे में लिखा है कि तलाक देनेवाले शौहर को तीन साल के लिए जेल में डाल दिया जायेगा. ऐसे में सवाल यह है कि जिस महिला को तलाक दिया गया है, उसका गुजारा कैसे होगा और उसके बच्चों की परवरिश कैसे होगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel