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गैंगरप के आरोपी यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की जमानत अर्जी फिर खारिज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की सामूहिकदुष्कर्म के एक मामले दूसरी जमानत याचिका कोबुधवार को पास्को अदालत ने खारिज कर दिया. स्पेशल पास्को अदालत के न्यायाधीश उमा शंकर शर्मा ने प्रजापति की तरफ से दायर की गयी जमानत याचिका को खारिज कर दिया.उमा शंकर शर्मा ने गैंगरेप व जानमाल की […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की सामूहिकदुष्कर्म के एक मामले दूसरी जमानत याचिका कोबुधवार को पास्को अदालत ने खारिज कर दिया. स्पेशल पास्को अदालत के न्यायाधीश उमा शंकर शर्मा ने प्रजापति की तरफ से दायर की गयी जमानत याचिका को खारिज कर दिया.उमा शंकर शर्मा ने गैंगरेप व जानमाल की धमकी के एक मामले में जेल में बंद गायत्री प्रसाद प्रजापति की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में अन्य मुल्जिमों की जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी है, जबकि यह मुल्जिम इस मामले का मुख्य आरोपी है एवं राजनैतिकरूप से प्रभावशाली व्यक्ति भी है. जमानत पर छूटने के बाद गवाहों पर अनुचित दबाव बना सकता है जिससे उनके जीवन को खतरा पैदा कर सकता है. लिहाजा उसे जमानत पर छोड़े जाने का आधार नहीं है.

विशेष अदालत में अभियोजन की ओर से गायत्री की जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया गया था़ सरकारी वकील एमके सिंह का कहना था कि मुल्जिम प्रदेश सरकार में एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री था. यदि इसे जमानत पर छोड़ा गया, तो गवाहों को प्रभावित कर सकता है. पीड़िता एवं उसकी पुत्री की हत्या भी करा सकता है. विशेषरूप से उन परिस्थितियों में जबकि इस मामले की विवेचना पूरी हो चुकी है.

गायत्री समेत अन्य सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप भी तय हो चुका है और मामला गवाही के स्तर पर लंबित है. तीन अक्टूबर को इस मामले में अभियोजन को अपना गवाह भी पेश करना है. दरअसल, गत 25 अप्रैल को पाक्सो अदालत के विशेष न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्रा ने इस मामले में गायत्री एवं दो अन्य मुल्जिमों की जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी, लेकिन उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जमानत संबंधी उनके आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.

साथ ही जमानत पर रिहा हो चुके दोनों मुल्जिम विकास वर्मा व अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को तत्काल गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया था. इसके बाद दोनों आत्मसमर्पण कर दिया था. उच्च न्यायालय ने अप्रैल में जमानत याचिका इसलिए खारिज कर दी थी कि क्योंकि उसे इस मामले में कुछ गड़बड़ लगी थी. विशेष अदालत के जिस न्यायाधीश ने यह जमानत याचिका मंजूर की थी. उस वक्त उनके सेवानिवृत्त होने में केवल एक दिन बचा था.

गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति एवं अन्य छह मुल्जिमों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरिया दुष्कर्म के प्रयास का इल्जाम लगाया था. विवेचना के दौरान पुलिस ने गायत्री समेत सभी मुल्जिमों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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