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विश्व टीबी दिवस: 38 फीसदी मरीजों को डिप्रेशन ने बनाया शिकार, 52 बच्चे कराये गये रोग से मुक्त

टीबी का असर शरीर के साथ ही साथ दिमाग पर भी भारी पड़ रहा है. बेहतरीन इलाज और डॉक्टरों की मौजूदगी के बाद भी टीबी के गंभीर रोगियों में से 38 प्रतिशत डिप्रेशन में जा रहे हैं. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे मरीज सबसे ज्यादा खुदकुशी के प्रति संवेदनशील पाए गए हैं.

कानपुर . टीबी का असर शरीर के साथ ही साथ दिमाग पर भी भारी पड़ रहा है. बेहतरीन इलाज और डॉक्टरों की मौजूदगी के बाद भी टीबी के गंभीर रोगियों में से 38 प्रतिशत डिप्रेशन में जा रहे हैं. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे मरीज सबसे ज्यादा खुदकुशी के प्रति संवेदनशील पाए गए हैं. इन मरीजों की टीबी के साथ ही मनोचिकित्सा भी की जा रही है. अभी तक मेडिकल कॉलेज के टीबी-चेस्ट, मनोचिकित्सा और फार्माकोलाजी विभाग ने 148 एमडीआर टीबी मरीजों पर संयुक्त रूप से यह स्टडी की है.

स्टडी में पता चला 38 प्रतिशत टीबी मरीज डिप्रेशन में

नौ महीने तक चली स्टडी में मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर) रोगियों पर हैमिल्टन डिप्रेशन रेटिंग स्केल (एचडीआर) लागू करके डिप्रेशन की जांच की गई है. जिसमें 38 प्रतिशत डिप्रेशन में पाए गए है. स्कोर और स्क्रीनिंग में डिप्रेशन की तस्दीक वाले रोगियों को मनोचिकित्सा के लिए मनोरोग विभाग भेजा गया, जहां वे डिप्रेशन की दवाएं भी ले रहे हैं. फार्माकोलॉजी विभाग के हेड डॉ वीरेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि स्टडी में 38 एमडीआर टीबी मरीजों में डिप्रेशन पाया गया. उन्हें टीबी के साथ मनोरोग का इलाज भी दिया जा रहा है. यह स्टडी एशियन जर्नल आफ फार्मास्युटिकल एंड क्लीनिकल रिसर्च में प्रकाशित की गई है.

52 बच्चों को कराया गया मुक्त टीबी से मुक्त

छत्रपति शाहू जी महाराज विवि ने शिक्षा देने के साथ ही साथ टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे 52 बच्चों को मुक्त कराया है. अभिभावक की तरह विवि के अधिकारी व शिक्षकों ने बच्चों को राज्यपाल के निर्देश पर गोद लिया था.जिसके बाद विवि की तरफ से हर 15 दिन में दवा से लेकर पौष्टिक आहार तक का इंतजाम कराया गया और लगातार देखभाल से ये बच्चे पूरी तरह रोगमुक्त हो गए हैं. विवि ने पिछले वर्ष कुल 100 बच्चों को गोद लिया था. बाकी 48 बच्चों में तेजी से रिकवरी हो रही है और वह भी एक या दो माह में स्वस्थ हो जाएंगे.

राज्यपाल के आदेश पर लिया था बच्चों को गोद

देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए राज्यपाल ने पिछले वर्ष विश्वविद्यालय कुलपति प्रो विनय पाठक से अपील की थी कि वह टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेकर उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखें. विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि गोद लिए 48 बच्चे टीबी मुक्त होना बाकी है. सभी 100 बच्चों के ठीक होते ही 50 नए बच्चों को गोद लिया जाएगा.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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