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रजिस्टर्ड आरा मशीनें 88, संचालित हो रहीं 220 के ऊपर

बलिया : जिले में अवैध तरीके से जगह-जगह आरा मशीनों का संचालन किया जा रहा है. दो दशक पहले महज 95 लाइसेंस ही बने थे, किन्हीं कारणों से सात लाइसेंस रद्द कर दिये जाने के बाद मौजूदा समय में जनपद में सिर्फ 88 आरा मशीनें ही रजिस्टर्ड है, जबकि सूत्र की मानें तो जनपद में […]

बलिया : जिले में अवैध तरीके से जगह-जगह आरा मशीनों का संचालन किया जा रहा है. दो दशक पहले महज 95 लाइसेंस ही बने थे, किन्हीं कारणों से सात लाइसेंस रद्द कर दिये जाने के बाद मौजूदा समय में जनपद में सिर्फ 88 आरा मशीनें ही रजिस्टर्ड है, जबकि सूत्र की मानें तो जनपद में वन विभाग व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से रजिस्टर्ड आरा मशीनों को लेकर 220 के ऊपर आरा मशीनें संचालित हो रही है. जिससे न सिर्फ धरती की हरितिमा खत्म हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिये भी चुनौती बन गई है.

की जायेगी कार्रवाई
जनपद में मौजूदा समय में 88 आरा मशीनें संचालित है. इसके अलावा यदि कहीं पर भी आरा मशीनों का संचालन हो रहा है तो जांच कर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी.
श्रद्धा यादव डीएफओ, बलिया
लाखों रुपये के राजस्व का लग रहा चूना
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जनपद की आरा मशीनें पर रोक लगा दी गयी थी, 2018 में रोक हटने के पश्चात आरा मशीन संचालकों को अपनी-अपनी मशीनें रिन्युअल कराने का फरमान जारी किया गया. जिसके क्रम में कुल 88 आरा मशीनों का रिन्युअल हुआ, जबकि सात आरा मशीनों का लाइसेंस ही रद्द कर दिया गया था.
लेकिन सूत्र की मानें तो रद्द हो जाने के बाद भी रिजेक्टेड आरा मशीनें महकमे के ही रहमोकरम पर धड़ल्ले से चल रही है, ये तो था विभागीय आंकड़ा, इससे इतर पूरे जनपद में लगभग 220 के ऊपर आरा मशीनों का संचालन किया जा रहा है.
अवैध आरा मशीन के चलते जहां विभागीय अफसर मालामाल हो रहे हैं वहीं लाखों रुपए राजस्व का चूना लग रहा है . अवैध रूप से संचालित आरा मशीनों पर रोक लगाने के लिए सरकार के आदेशों को भी विभागीय अफसर ठेंगा दिखा रहे हैं.
रसड़ा में सबसे ज्यादा अवैध आरा मशीनें
वैसे पूरे जनपद में अवैध आरा मशीनों की भरमार है. लेकिन इस मामले में रसड़ा नंबर वन है. तहसील क्षेत्र के नरला, राधोपुर , अठिला, पकवाइनार, सराय भारती, मुस्तफाबाद, नाथ बाबा रोड़, मालगोदाम रोड़ कोटवारी में सबसे ज्यादा अवैध आरा मशीन चल रही है.
आलम यह है कि आरा मशीनों पर प्रदेश स्तर की आजमगढ़ की टीम जब जांच करने पहुंचते है तो तहसील क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी आरा मशीन संचालकों को मोबाइल पर सतर्क कर देते हैं, जिसकी वजह से अवैध आरा मशीन पकड़ में नहीं आती. अधिकारी, संचालकों एवं पेड़ कटवा गिरोह की तिकड़ी से हरे पेड़ों को काट-काट कर जहां पूरा क्षेत्र को विरान कर दिया गया है, वहीं हर महीने लाखों रुपये राजस्व का चूना भी लगाया जा रहा है.
1996 के बाद किसी को जारी नहीं किया गया लाइसेंस
जिले में वर्ष 1981 से 1996 के बीच कुल 95 आरा मशीनों के लाइसेंस जारी किये गये. वर्ष 1997 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरा मशीनों के लाइसेंस जारी करने व नवीनीकरण पर रोक लगा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कोई भी लाइसेंस अन्यत्र हस्तांतरित भी नहीं किये जा सकते हैं.
इसके चलते करीब दो दशक तक जिले में वन विभाग की ओर से कोई भी नया आरा मशीन का लाइसेंस जारी नहीं किया गया. इसके बाद 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही इस पर भी रोक लगा दी गयी. लेकिन 2018 में रोक हटा दी गयी और सिर्फ रिन्युअल का ही आदेश जारी हुआ था, जिसमें भी सात लाइसेंस को रद्द कर दिया गया था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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