Lucknow: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी (NHM) ने थैलीसीमिया रोगियों के इलाज के लिए वर्ष 2021-22 में 6.89 करोड़ रुपये बजट 15 जिलों को जारी किया है. लेकिन कई जिलों में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा है. यह स्थिति तब है जब कि एनएचएम निदेशक ने सभी अस्पतालों के सीएमएस को थैलेसीमिया रोगियों को फिल्टर, दवाएं और नि:शुल्क खून मुहैया कराने के लिए पत्र लिखा है.
थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज दिलाने की लड़ाई लड़ रहे बुलंदशहर के मानवीर सिंह बताते हैं कि उनके जिले में 100 से ज्यादा थैलेसीमिया मेजर रोग से पीड़ित बच्चे हैं. लेकिन उनके इलाज की व्यवस्था नहीं सुधरी है. यहां तक कि बीमारी के प्रचार-प्रसार के लिये भी इसमें बजट की व्यवस्था है लेकिन कहीं भी बीमारी से बारे में जागरूक नहीं किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार वर्ष 2016 से प्रत्येक वर्ष जनपद बुलंदशहर के बाबू बनारसी दास अस्पताल के थैलासीमिया रोगियों को बेहतर इलाज देने के लिए धनराशि जारी कर रही है. अस्पताल में थैलेसीमिया वार्ड भी बनाया गया है. लेकिन वार्ड में एसी की व्यवस्था नहीं की गई है. इसके चलते वहां खून खराब होने की संभावना बनी रहती है.
मानवीर सिंह का दावा है कि लगभग 15 बच्चे जिला अस्पताल बुलंदशहर के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों लापरवाही के कारण असमय मौत के शिकार हो चुके हैं. मानवीर बताते हैं कि 8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस है लेकिन सीएमओ डॉ. विनय कुमार ने कोई भी कार्यक्रम करने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि उनके पास इसके लिये बजट नहीं है.
मानवीर सिंह ने बताया कि बीते वर्ष अपोलो हॉस्पिटल से हीमेटोलॉजिस्ट डॉ. अमिता महाजन ने बुलंदशहर के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के खून की जांच की थी. इस जांच में 22 बच्चे हेपेटाइटिस एवं एचआईवी से संक्रमित पाए गए हैं. इसके पीछे बच्चों को हेपेटाइटिस व एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाना माना जा रहा है. वर्ष 2021-22 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बुलंदशहर को 10.45 लाख का बजट जारी किया है. लेकिन यहां के मरीजों को सुविधायें नहीं मिल रही हैं.
इन जिलों को दिया जाता है बजट
आगरा, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ में केजीएमयू-एसजीपीजीआई, मेरठ, वाराणसी, झांसी, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, सहारनपुर, आजमगढ़