28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

UP Election Result 2022: कौन हैं ND तिवारी जिनके नाम नाम दर्ज है लगातार दो बार UP का सीएम बनने का रिकॉर्ड

प्रदेश में पिछले 37 साल से कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दो बार सीएम नहीं बना है. अब जनना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ इस रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब होते हैं या नहीं. लेकिन प्रदेश में एक नेता ऐसा भी रहा है जिसके नाम...

UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के लिए चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है. प्रदेश में वोटिंग प्रक्रिया कुल सात चरणों में संपन्न हुई. 10 मार्च यानी आज चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे. इसके साथ ही सूबे में एक नई सरकार का ऐलान कर दिया जाएगा. 10 मार्च को ही पता चलेगा कि यूपी का अगला सीएम कौन होगा.

37 साल से कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दो बार सीएम नहीं बना

दरअसल, प्रदेश में पिछले 37 साल से कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दो बार सीएम नहीं बना है. अब जनना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ इस रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब होते हैं या नहीं. लेकिन प्रदेश में एक नेता ऐसा भी रहा है जिसके नाम दो बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड दर्ज है. ये नाम है कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी का जोकि लगातार दो बार यूपी के सीएम बने थे.

एनडी तिवारी के बाद कोई नहीं बना लगातार दो बार यूपी का सीएम

दरअसल, 37 साल पहले कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी लगातार दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. नारायण दत्त तिवारी 3 अगस्त 1984 से 10 मार्च 1985 तक और 11 मार्च 1985 से 24 सितंबर 1985 तक दो बार लगातार प्रदेश के सीएम रहे थे. तब से लेकर आज तक इस रिकॉर्ड को कोई नहीं तोड़ सका. कहने का मतलब कोई दो बार लगातार यूपी का सीएम नहीं बना.

इलाहाबाद विवि छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए एनडी तिवारी

साल 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में जन्में नारायण दत्तव तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे. नारायण दत्त तिवारी की शुरूआती शिक्षा हल्द्वानी, नैनीताल और बरेली और में हुई. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एमए किया. यहीं से उन्होंने एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. आगे चलकर तिवारी इलाहाबाद विवि छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.

नारायण दत्त तिवारी के राजनीतिक सफर की नींव उस समय पड़ी, जब वे 1942 में ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने के आरोप में गिरफ्तार किए गए. करीब 15 महीने तक उन्हें जेल में रखा गया और 1944 में वह दिन आया जब 1944 में तिवारी को जेल से रिहा किया. अंग्रेजों के खिलाफ 1947 में आजादी की लड़ाई अपने चरम पर थी, और यही वह समय था जब नारायण दत्त तिवारी को विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन का अध्यक्ष चुना गया.

1947 में भारत की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया. नारायण दत्त तिवारी को अब तक बड़ी राजनीतिक हस्तियों के बीच पहचान नहीं मिली थी, लेकिन उन्होंने आजादी के बाद देश में जारी कांग्रेस की लहर को चुनौती देते हुए बतौर सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार उन्होंने जीत दर्ज की और पहली विधानसभा के सदस्य के तौर पर सदन में पहुंच गए.

कांग्रेस और नारायण दत्त तिवारी के बीत बातचीत का सिलसिला 1963 से शुरू हुआ. इसके बाद से तिवारी का झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ने लगा. साल 1965 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जबरदस्त जीत हासिल की. इस जीत के दम पर उन्हें पहली बार कांग्रेस के मंत्रिपरिषद में जगह मिली. 1969 से 1971 तक वे कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष रहे. 1 जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, हालांकि 1977 के जयप्रकाश आंदोलन के कारण उन्हें 30 अप्रैल को सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

वह प्रदेश के अकेले ऐसे राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नारायण दत्त तिवारी 3 अगस्त 1984 से 10 मार्च 1985 तक और 11 मार्च 1985 से 24 सितंबर 1985 तक दो बार लगातार प्रदेश के सीएम रहे थे. उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने। तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन यहां सीडी कांड के बाद उन्हें पद से हटना पड़ा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें