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लखीमपुर हिंसा मामले में SC ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर फैसला रखा सुरक्षित

लखीमपुर खीरी की तिकुनिया क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को कथित रूप से किसान विरोधी बिल का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इसमें तकरीबन 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी को जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इस मामले में जमानत को खारिज करने की गुहार लगाई है.

Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्र टेनी की जमानत पर फैसला सुप्रीम कोर्ट ने अभी सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि लखीमपुर खीरी की तिकुनिया क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को कथित रूप से किसान विरोधी बिल का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इसमें तकरीबन 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी को जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इस मामले में मृतकों के परिजनों ने जमानत याचिका को खारिज करने की गुहार लगाई थी.

क्या था मामला?

पिछले साल 3 अक्टूबर को, लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के एक समूह पर केंद्रीय मंत्री के स्वामित्व वाले वाहनों का एक काफिला किसानों को रौंदते हुए आगे निकल गया. इस हादसे में चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. इसके बाद हुई हिंसा में भाजपा के दो नेता और एक वाहन चालक की मौत हो गई. मामले में मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को जमानत दे दी थी.

98 गवाहों की सुरक्षा के मद्देनजर… 

लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की है. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एसआईटी हेड ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग को 10 फरवरी और 14 फरवरी को पत्र लिखकर आरोपी की जमानत रद्द करने की बात कही थी. इसके लिए एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल अपील करने का अनुरोध करते हुए जमानत रद्द करवाने की अपील करने की सिफारिश की थी. इसका मुख्य आधार यह बताया गया है कि इस मामले के 98 गवाहों की सुरक्षा को देखते हुए यह करना बहुत जरूरी था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गवाहों को सुरक्षा देने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के 20 अक्टूबर को आए आदेश के तहत कदम उठाया गया है. इस मामले में 98 गवाह हैं. इनमें से 79 गवाह लखीमपुर खीरी के हैं जबकि शेष 10 गवाह यूपी के अन्य जिलों के हैं.

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