लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले कांग्रेस को बडा झटका लग सकता है क्योंकि पार्टी विधायक एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें आज तेज हो गयीं. रीता के भाई उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं. अटकल इन खबरों के बाद फैलीं कि रीता की इस संबंध में हाल ही में भाजपा नेतृत्व से बैठक हुई है.
दोनों पार्टियों में अटकलें
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की ओर से हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी और ना ही ऐसी किसी खबर की पुष्टि की गयी. खुद रीता से बात नहीं हो सकी क्योंकि उनके फोन स्विचऑफ थे. कांग्रेस नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन कुछ अंदरुनी सूत्र मानते हैं कि ऐसा कुछ हुआ तो पार्टी को भारी झटका लगेगा क्योंकि कांग्रेस राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाने वाले उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में खुद को पुनर्जीवित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि रीता ने इससे :भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बैठक: इंकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि रीता अस्वस्थ हैं और नई दिल्ली में हैं. संपर्क करने पर कांग्रेस नेता द्विजेन्द्र तिवारी ने बताया कि उन्हें यकीन है कि रीता बहुगुणा जोशी पार्टी हित में फैसला करेंगी और स्थिति जल्द साफ हो जायेगी.
पार्टी को बड़ा झटका
कांग्रेस से विधायकों के छोड़कर विरोधी खेमों में जाने का सिलसिला पहले से ही चल रहा है और अब अगर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले रीता कांग्रेस छोड़ गयीं तो पार्टी के लिए भारी झटका होगा. रीता लखनऊ कैन्ट क्षेत्र से विधायक हैं. बताया जाता है कि 67 वर्षीय रीता इस बात से नाराज हैं कि उत्तर प्रदेश से बाहर की नेता शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.
रीता बहुगुणा जोशी नाराज
रीता का मानना है कि अगर ब्राह्मण चेहरा ही आगे करना था तो वह शीला से बेहतर हैं. भाई विजय बहुगुणा के भाजपा में जाने के बाद से ही रीता कांग्रेस में अलग थलग महसूस कर रही थीं. कांग्रेस आलाकमान ने रीता को जिम्मेदारी दी थी कि वह अपने भाई विजय को मनाये और कहें कि वह भाजपा मेंं ना जाएं और सम्मान के साथ घर वापस लौटें. कांग्रेस को उम्मीद थी कि रीता भाई को मनाने में सफल होंगी. उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो 403 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस केवल 28 सीटें ही जीत पायी थी. गांधी परिवार का गढ़ समझे जाने वाले रायबरेली और अमेठी में भी पार्टी दस विधानसभा सीटों में से केवल दो पर ही जीत दर्ज कर पायी थी.