21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

दुनियाभर में छाएगी बनारस के मोती की चमक

लखनऊ : बनारस बीड्स या कह लें ‘बनारस के कांच के मोती’ की दुनियाभर में पहचान बनाये रखने के लिए जियोग्राफिकल रजिस्‍ट्री ऑफ इंडिया ने जीआइ प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला लिया है. इस फैसले से निश्‍चित ही बनारस के उद्यमियों और कारीगरों में खुशी का माहौल हो सकता है. कांच के खत्‍म हो रहे […]

लखनऊ : बनारस बीड्स या कह लें ‘बनारस के कांच के मोती’ की दुनियाभर में पहचान बनाये रखने के लिए जियोग्राफिकल रजिस्‍ट्री ऑफ इंडिया ने जीआइ प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला लिया है. इस फैसले से निश्‍चित ही बनारस के उद्यमियों और कारीगरों में खुशी का माहौल हो सकता है. कांच के खत्‍म हो रहे कारोबार में नयी जान फूंकने के इरादे से बोर्ड ने यह फैसला लिया है.
इसके बाद बनारस और उसके समीपवर्ती कुछ इलाकों को छोड कर किसी अन्य जगह पर बने ऐसे उत्पाद को बनारसी कांच के मोती (बनारस बीड्स) के नाम पर नहीं बेच जा सकेगा.ट्रेडमार्क्‍स एंड जियोग्राफिकल रजिस्ट्रेशन के सहायक रजिस्ट्रार सी जी नायडू ने बताया जीआइ प्रमाण-पत्र देने के बारे में आवेदन मंजूर किया जा चुका है और गजट अधिसूचना जारी की गयी है. अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि पूरी होने के बाद प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाएगा.’
बनारस कांच के मोती एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा ‘हम प्रमाणपत्र के लिए पिछले तीन साल से कोशिश कर रहे थे. एसोसिएशन और निर्यात संवर्धन आयुक्त, लघु उद्योग विभाग के प्रयासों का असर जल्द ही दिखेगा.’
इस हस्तशिल्प की विशेषता बताते हुए गुप्ता ने कहा कि कांच के मोतियों की 50 हजार किस्में विकसित करने में काफी प्रयोग किये गये और विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया गया. गुप्ता के पिता कन्हैया लाल ने 1938 में चेक दंपती श्रीमान एवं श्रीमती हेनरिक से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कांच के मोती बनाने के गुर सीखे. चेक दंपतीपंडित मदन मोहन मालवीय के बुलावे पर बनारस आये थे.
गुप्ता ने बताया कि मिर्जापुर, सोनभद्र और वाराणसी में लगभग 10 हजार लोग इस हस्तशिल्प में संलग्न हैं और दस साल पहले तक 90 प्रतिशत माल का निर्यात हो जाता था. उन्होंने कहा कि अब बाजार में चीन की सजावटी सामान आ गये हैं और उन्हें ‘मेड इन इंडिया’ के नाम से बेचा जाता है.
चीन के सस्ते उत्पादों से पारंपरिक हस्तशिल्प के लिए खतरा पैदा हो गया है. गुप्ता ने कहा कि इस हस्तशिल्प में शामिल रहे आधे से अधिक लोगों ने आजीविका के अन्य साधन अपना लिये. कुछ तो रिक्शा तक चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार चीन के उत्पादों की डंपिंग नहीं रोक पा रही है.
गुप्ता ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रलय को ‘स्पेशल परपज वेहिकल (एसपीवी) का एक प्रस्ताव भेजा गया है. यदि यह मंजूर होता है तो कांच के मोती के व्यवसाय को काफी प्रोत्साहन मिलेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel