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Bhubaneswar News: राजा मुकुंददेव ओडिशा की स्वतंत्रता, अस्मिता और संस्कृति के प्रतीक : धर्मेंद्र प्रधान

Bhubaneswar News: भद्रक जिले के धामनगर में ‘एकता पदयात्रा’ में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए और सभा को संबोधित किया.

Bhubaneswar News: ओडिशा के अंतिम स्वतंत्र शासक राजा मुकुंददेव राज्य की स्वतंत्रता, अस्मिता, एकता, स्वाभिमान और संस्कृति का प्रतीक थे. आने वाले दिनों में यूनेस्को के सहयोग से गोहिराटिकिरी पर विस्तृत शोध कराया जायेगा. केंद्र सरकार की मदद से राजा मुकुंददेव से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियों को व्यापक रूप से दस्तावेजीकृत किया जायेगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बातें कही. वे शनिवार को भद्रक जिले के धामनगर दोबल में आयोजित ‘एकता पदयात्रा एवं जनसभा’ में शामिल होकर अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास कर रहे थे.

गोहिराटिकिरी से दोबल काली बाजार तक निकली एकता पदयात्रा

सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने से पहले धर्मेंद्र प्रधान गोहिराटिकिरी से दोबल काली बाजार तक आयोजित एकता पदयात्रा में सम्मिलित हुए. बड़ी संख्या में छात्र–छात्राएं, स्थानीय बुद्धिजीवी और नागरिक पदयात्रा में शामिल हुए. श्री प्रधान ने कहा कि लौह पुरुष सरदार पटेल का जीवन एक नवगठित राष्ट्र के एकीकरण और समृद्धि की गाथा है. ओडिशा सहित देश को एक सूत्र में पिरोने में उनका योगदान अतुलनीय है. उत्कल केसरी डॉ हरेकृष्ण महताब की दूरदृष्टि और सरदार पटेल के राजनीतिक समर्थन तथा दृढ़ निर्णयों की बदौलत ओडिशा में सबसे पहले रियासतों की विलय प्रक्रिया पूरी हुई थी. इसमें नीलगिरी का विलय भारतीय संघ के प्रथम सफल उदाहरण के रूप में इतिहास में दर्ज है. उन्होंने कहा कि गोहिराटिकिरी ओडिशा के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है. यह एक ऐसी वीरभूमि है, जो अंतिम स्वतंत्र हिंदू राजा के रक्त से सिंची हुई है. राजा मुकुंददेव ने गंगा से गोदावरी तक अपने राज्य का विस्तार किया था और ओड़िया पहचान तथा सार्वभौमिकता की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया. उन्होंने ओड़िया अस्मिता और सभ्यता की सुरक्षा के लिए षडयंत्र का शिकार होते हुए भी अपनी अंतिम सांस तक कालापाहाड़ से लडाई लड़ी और अंत में मृत्यु को वरण किया.

इतिहास का अध्ययन किये बिना भविष्य की दिशा तय करना कठिन

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इतिहास भविष्य का दर्पण है. इसका अध्ययन किये बिना भविष्य की दिशा तय करना कठिन है. वर्ष 2036 में ओडिशा के भाषा-आधारित राज्य गठन के 100 वर्ष और 2047 में भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होंगे. ऐसे समय में ओडिशा की समृद्धि, स्वच्छ गांव, पोषण को प्राथमिकता, नवजात से लेकर सभी बच्चों की देखभाल और ओड़िया भाषा के संरक्षण-संवर्धन की सामूहिक जिम्मेदारी निभाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि समाज के प्रयास से ओडिशा को अग्रणी बनाने का संकल्प लेना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि 2036 तक गोहिराटिकिरी को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर स्थल के रूप में विकसित करना सामूहिक दायित्व है.

101 करोड़ की 22 परियोजनाओं का किया शिलान्यास

इस अवसर पर श्री प्रधान ने स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए लगभग 101 करोड़ रुपये की लागत वाली 22 परियोजनाओं का शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत 15 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले धामनगर महाविद्यालय विकास परियोजना, पर्यटन विभाग की ओर से 2.46 करोड़ रुपये में गोहिराटिकिरि के निकट सेनापतिआ पोखरी के परिपार्श्विक विकास, ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग की ओर से लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत में लुणिया शहीद स्मारक पीठ के विकास कार्य तथा गोहिराटिकिरि में पांच करोड़ रुपये की लागत से गोहिराटिकिरि अनुसंधान केंद्र और आर्ट गैलरी परियोजना का शिलान्यास किया गया. इसके साथ ही जल संपदा विभाग की ओर से 25.85 करोड़ रुपये की लागत से होने वाली 10 परियोजनाओं, गृह निर्माण विभाग की ओर से 18 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन परियोजनाओं, ग्रामीण विकास विभाग की 21.25 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन परियोजनाओं तथा ड्रेनेज विभाग की ओर से 4.11 करोड़ रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं का केंद्रीय मंत्री ने शिलान्यास किया.

महावीर हनुमान का दर्शन कर की पूजा-अर्चना

श्री प्रधान ने क्षेत्र के प्राचीन इतिहास के साक्षी अर्जुन वृक्ष के नीचे स्थापित महावीर हनुमान की भव्य प्रतिमा का दर्शन कर पूजा-अर्चना की. उन्होंने आलामचांद पोखरी और रानी पोखरी का भी निरीक्षण किया. ओडिशा के अंतिम स्वतंत्र शासक वीरवर मुकुंददेव की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के पश्चात उन्होंने निकट स्थित मठ का दर्शन किया और परिसर में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भी दर्शन किया. इस कार्यक्रम में ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज, भद्रक सांसद अभिमन्यु सेठी तथा भद्रक विधायक सितांशु शेखर महापात्र सहित कई गणमान्य लोग शामिल थे.

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