Rourkela News: राउरकेला सरकारी अस्पताल (आरजीएच) में रक्त की न्यूनतम आवश्यकता 1500 यूनिट प्रति माह है. लेकिन यहां औसतन 1200 यूनिट रक्त का संग्रह हो रहा है. जिससे लगभग 300 यूनिट रक्त की कमी रहती है. कमोबेश यही स्थिति हर माह रहती है. इससे आरजीएच में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों व उनके परिजनों को परेशानी हो रही है.
आरजीएच में हर दिन 400 से अधिक मरीजों का होता है इलाज
विदित हो कि सुंदरगढ़, राउरकेला समेत पड़ोसी राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़ के मरीज भी आरजीएच पर निर्भर हैं. 400 बेड वाले इस अस्पताल में 400 से अधिक मरीजों का इलाज होता है. आरजीएच के ब्लड बैंक में 36 थैलेसीमिया, 28 सिकल सेल, 8 हीमोफीलिया के मरीज पंजीकृत हैं. इन्हें नियमित रक्त दिया जाता है. बिसरा, राजगांगपुर व बणई क्षेत्र के कई एनीमिक मरीज भी यहां से रक्त लेते हैं. केवल आरजीएच को ही प्रति माह औसतन 1,000 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. इसी प्रकार अन्य अस्पतालों में भी यहां से 500 यूनिट रक्त मुहैया कराया जाता है. लेकिन रक्तदान शिविरों का नियमित आयोजन न होने से यहां रक्त की कमी देखी जा रही है. रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं हो पाने के पीछे रक्त भंडार में कर्मचारियों की कमी को कारण बताया जा रहा है.
कर्मियों की कमी के कारण नहीं हो पार रहा रक्तदान शिविरों का आयोजन
रक्त भंडार के अधिकारी डॉ प्रशांत कुमार दास ने कहा कि रक्तदान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की कोई व्यवस्था नहीं है. ब्लड बैंक में छह साल से काउंसिलर का पद खाली है. 10 की जगह केवल पांच टेक्नीशियन हैं. रक्त संग्रह के लिए मोबाइल वैन में कोई उपकरण या अटैचमेंट नहीं है. दो स्टाफ नर्स के स्थान पर एक तथा छह अटेंडेंट के स्थान पर तीन अटेंडेंट (आउट सोर्स) कार्यरत हैं. ऐसे में रक्तदान शिविर का आयोजन मुश्किल हो रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है