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आरएसपी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में पारंपरिक पट्टचित्र कला का प्रशिक्षण ले रहीं ग्रामीण महिलाएं

राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के सीएसआर विभाग ने अपनी महिला सशक्तीकरण और आजीविका सृजन पहल के तहत ग्रामीण महिलाओं के आय सृजन के साधन के रूप में पारंपरिक पट्टचित्र कला को अपनाया है.

राउरकेला. राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के सीएसआर विभाग ने अपनी महिला सशक्तीकरण और आजीविका सृजन पहल के तहत ग्रामीण महिलाओं के आय सृजन के साधन के रूप में पारंपरिक पट्टचित्र कला को अपनाया है. आरएसपी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए एक गैर सरकारी संगठन, सोसाइटी फॉर वीमेन एक्शन डेवलपमेंट (एसडब्ल्यूएडी-स्वाद) के साथ सहयोग किया है. इस कला को सीखने के लिए लाठीकटा ब्लॉक के सुइडीह पार्श्वांचल गांव की 10 महिलाओं का चयन किया गया है. समूह ने प्रथम माह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण को सीएसआर विभाग के पार्श्वांचल विकास संस्थान (आइपीडी) में पूरा किया. इस अवधि के दौरान प्रशिक्षुओं को विभिन्न डिजाइन जैसे बॉर्डर, रेखांकन, रचनात्मक रूपांकन, डिजाइन, पक्षी, जानवर, मछलियां, समापक चित्रांकन के लिए कागज तैयार करना और एक पेंटिंग को पूरा करने का तरीका सिखाया गया. प्रशिक्षणार्थियों को आवश्यक सामग्री उपलब्ध करायी गयी. इसके प्रशिक्षक श्री सुशांत कुमार बेताल थे.

प्रशिक्षण के 11 माह के दूसरे चरण से गुजर रहा समूह

अब समूह सुईडीह ग्राम पंचायत कार्यालय में 11 महीने की अवधि के प्रशिक्षण के दूसरे चरण से गुजर रहा है, जहां वे सरल विषयों को पूर्णता के साथ चित्रित करने का अग्रिम पाठ्यक्रम सीख रही हैं. 43 वर्षित पूनम टेटे कहती हैं, ‘चित्रकला और पेंटिंग’ के बारे में किसी भी पूर्व ज्ञान के बिना, मैं इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में बहुत आशंकित थी. हालांकि, यह आरएसपी के सीएसआर अधिकारियों और प्रशिक्षकों का विश्वास और प्रोत्साहन है कि मैं अब कागज पर सुंदर कलाएं बनाने में सक्षम हूं. दूसरी तक पढ़ाई करने के साथ-साथ सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र में पारंपरिक पट्टचित्र चित्रकला में प्रशिक्षण ले रही चमकती आंखों वाली जैस्मीन किसान कहती हैं, ‘मुझे बचपन से ही चित्रकारी का शौक था. पट्टचित्र चित्रकला कार्यशाला के साथ, मैं अपना कौशल को निखार रही हूं, जिसे मैं आय सृजन के तरीके के रूप में उपयोग करने की इच्छा रखती हूं’. विशेषतः यह परियोजना लगभग 10.50 लाख रुपये की कुल लागत पर शुरू की गयी है. 12 महीने तक चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य इन महिलाओं के लिए आय सृजन, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और स्थायी आजीविका का हुनर प्रदान करना है.

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