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Rourkela News: राउरकेला स्टेशन की पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी का ठीकरा रेलवे ने आरएमसी पर फोड़ा

Rourkela News: एक आरटीआइ के जवाब में राउरकेला स्टेशन में पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी का ठीकरा रेलवे ने राउरकेला महानगर निगम पर फोड़ा है.

Rourkela News: राउरकेला रेलवे स्टेशन में पार्किंग शुल्क इन दिनों सुर्खियों में हैं. नयी दरों ने आम-ओ-खास को परेशान कर रखा है. इसे लेकर रेलवे के प्रति स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. इस बीच सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत रेलवे से इन नयी दरों के लागू करने के आधार के बारे में पूछे जाने पर जवाब में उसने राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) पर इसका ठीकरा फोड़ा है.

सामाजिक संस्था उद्भव ने मांगी थी सूचना

रेलवे ने आरटीआइ में बताया है कि आरएमसी के पार्किंग शुल्क के अनुरूप ही दरें तय की गयी हैं. जिसके बाद अब गेंद राउरकेला प्रशासन के पाले में आ गयी है. गौरतलब है कि एक जुलाई, 2025 से राउरकेला रेलवे स्टेशन में पार्किंग शुल्क में भारी वृद्धि की गयी है. जिसे लेकर सामाजिक संस्था उद्भव की ओर से 21 जुलाई को चक्रधरपुर रेल मंडल प्रबंधक (डीआरएम) को एक पत्र लिखकर उन्हें अवगत कराया गया था कि स्टेशन में बगैर किसी अतिरिक्त सुविधा के पार्किंग शुल्क में कई गुना बढ़ोतरी की गयी है, खासकर पिकअप और ड्रॉप के लिए तय शुल्क आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है. यह शुल्क राउरकेला के इतिहास में पहली बार लागू किया गया है, जो न्यायसंगत तो बिल्कुल भी नहीं है.

क्या हैं दरें

पिकअप और ड्रॉप के लिए 10 से 20 मिनट तक रुकने पर वर्तमान 80 रुपये और 18% जीएसटी शुल्क लिया जा रहा है. 20 मिनट से अधिक रुकने पर प्रत्येक 30 मिनट के लिए 500 रुपये एवं 18% जीएसटी अतिरिक्त वसूला जा रहा है. शहरवासियों का आरोप है कि यह दरें आम नागरिकों के लिए पूरी तरह से असामान्य और अनुचित हैं. किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं लगता. विशेषकर तब जब विगत वर्षों से राउरकेला स्टेशन पर कभी भी गाड़ियों के जाम की स्थिति नहीं रही हैं.

रेलवे का जवाब

इस संबंध में जब रेलवे प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया गया और जवाब मांगा गया, तो 31 जुलाई को असिस्टेंट कॉमर्शियल मैनेजर, चक्रधरपुर मंडल की ओर से उद्भव संस्था के सचिव वेद प्रकाश तिवारी को भेजे गये पत्र में यह कहकर जिम्मेदारी टाल दी कि राउरकेला स्टेशन पर लागू शुल्क दरें राउरकेला नगर निगम द्वारा निर्धारित 12 घंटे की पार्किंग दरों से भी कम हैं. इस प्रकार रेलवे प्रशासन ने जवाब देते समय सुविधा अनुसार कई स्लैबों में ‘12 घंटे वाले स्लैब’ को उद्धृत कर अपने निर्णय को उचित ठहराने का प्रयास किया है. अगर रेलवे नगर निगम की तरह 0 से 1 घंटे का प्रथम स्लैब रख कर दोपहिया वाहनों का 5 रुपये और कार का 20 रुपये लेती, तो कोई ऐतराज नहीं था. रेलवे ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा है कि यह शुल्क स्थानीय निकाय अर्थात राउरकेला म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप ही हैं.

सुविधाएं नदारद, शुल्क आसमानी

इस पूरे प्रकरण में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि अब राउरकेला रेलवे स्टेशन को पूर्व के एनएसजी-3 श्रेणी से एनएसजी-2 श्रेणी में शामिल कर दिया गया है, यानी यह अब टाटा, शालीमार, खड़गपुर, रांची और हटिया जैसे प्रमुख स्टेशनों के समकक्ष आ गया है. इसका सीधा अर्थ है कि राउरकेला स्टेशन की वार्षिक एनएसजी के3 श्रेणी की आय 20 से 50 करोड़ के स्थान पर अब एनएसजी-2 श्रेणी के 100 से 500 करोड़ के बीच हो गयी है. इसी तरह यात्रियों की संख्या भी एनएसजी-3 श्रेणी के 50 लाख से एक करोड़ के स्थान पर एनएसजी-2 श्रेणी के एक करोड़ से दो करोड़ के बीच हो गयी है. रेलवे की आय में यह कई गुना वृद्धि निश्चित ही उल्लेखनीय है, परंतु प्रश्न यह उठता है कि इसका प्रत्यक्ष लाभ यात्रियों को क्या मिल रहा है? या कब मिलेगा? यदि स्टेशन की श्रेणी में विकास हो रहा है और यह एनएसजी-3 श्रेणी से एनएसजी-2 हो गया है, तो यात्रियों और राउरकेला के लोगों को उसके अनुरूप सुविधाएं, संरचनाएं और सेवाएं क्यों नहीं प्राप्त हो रही हैं? केवल राजस्व बढ़ाकर जनता पर अतिरिक्त भार डाला जा रहा है.

टाटानगर रेलवे स्टेशन के मुकाबले सुविधाएं सीमित

शहरवासियों का कहना है कि अगर टाटानगर रेलवे स्टेशन के मुकाबले देखा जाये, तो राउरकेला रेलवे स्टेशन में सुविधाएं ना के बराबर हैं. टाटानगर में जहां पार्किंग के लिए विकसित क्षेत्र है, तो राउरकेला में यह नहीं है. इसी तरह यात्री सुविधाएं भी टाटानगर में राउरकेला के मुकाबले बेहतर हैं.

राउरकेला नगर निगम को हस्तक्षेप करना चाहिए

आरटीआइ एक्टिविस्ट वेदप्रकाश तिवारी ने कहा कि दरों को बढ़ाने के लिए मानकों में छेड़छाड़ कहना गलत नहीं होगा. किसी को भी आसानी से टाटानगर और राउरकेला रेलवे स्टेशन की यात्री सुविधाओं का फर्क दिख जायेगा. हैरत की बात है कि राउरकेला महानगर निगम की पार्किंग दरों का हवाला देते हुए रेलवे अपने शुल्क को जायज ठहरा रही है. यह सही समय है, जब राउरकेला महानगर निगम को हस्तक्षेप कर शहर के लोगों को राहत दिलानी चाहिए.

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