Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला (एनआइटी राउरकेला) के शोधकर्ताओं ने एक अनूठा रोबोटिक सिस्टम विकसित किया है, जो मानव की तरह बातचीत कर सकता है. इस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) का उपयोग किया गया है, जिससे यह मौखिक और गैर-मौखिक संवाद दोनों को समझकर सहज और स्वाभाविक बातचीत कर सकता है.
निर्देशों का पालन करने और सवालों का त्वरित जवाब देने में सक्षम
यह रोबोट रोजमर्रा की भाषा समझने, दिये गये निर्देशों का पालन करने और सवालों का त्वरित जवाब देने में सक्षम है. साथ ही, यह उपयोगकर्ता के चेहरे के हाव-भाव से उनकी भावनाओं को पहचान कर सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया देता है. उदाहरण के लिए, खुशी या उदासी को समझकर उपयुक्त प्रतिक्रिया देना इस सिस्टम की खासियत है. हाथ हिलाने, उठाने जैसे इशारों को भी समझकर यह सही प्रतिक्रिया देता है, जिससे यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद उपयोगी बन जाता है. एनआइटी राउरकेला ने इस नवाचार के लिए पेटेंट भी प्राप्त किया है (पेटेंट नंबर 574589). शोध निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल ‘कंप्यूटर्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित हुए हैं. इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल, कंप्यूटर्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (एल्सेवियर), में प्रकाशित किये गये हैं, जिसमें सह-लेखक के रूप में एनआइटी राउरकेला के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनूप नंदी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ असीम कुमार नस्कर और रिसर्च स्कॉलर सौगतमोय बिस्वास के साथ एम टेक ग्रेजुएट राहुल साव शामिल हैं. रोबोट की भाषा प्रसंस्करण प्रणाली में रैस्पबेरी पाई, गूगल टेक्स्ट-टू-स्पीच और एलएलएम सम्मिलित हैं, जो इसे प्राकृतिक और प्रभावी संवाद में सक्षम बनाते हैं. यह व्हील-आधारित प्लेटफॉर्म पर चलता है और बिल्ट-इन डिस्टेंस-सेंसिंग के माध्यम से बाधाओं से बचता है. यह प्रणाली घरेलू, शैक्षिक, अस्पताल और कार्यालय जैसे विभिन्न सामाजिक परिवेशों में उपयोगी है. यह बुजुर्गों की देखभाल कर सकता है, बच्चों के साथ संवाद कर लर्निंग में मदद करता है और अस्पतालों में मार्गदर्शन तथा प्रश्नोत्तरी का सहज समाधान प्रदान करता है. एनआइटी राउरकेला के अनुसार, यह रोबोट भारत के ‘मेक इन इंडिया’और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहलों के अनुरूप है, जो भारतीय आवश्यकताओं के हिसाब से किफायती और प्रभावी समाधान देता है.
तकनीक के व्यवसायीकरण की संभावनाएं तलाश रहे शोधकर्ता
एनआइटी राउरकेला में विकसित इस रोबोट की अनुमानित लागत निर्माण के पैमाने और घटकों के अनुकूलन के आधार पर 80,000 से 90,000 रुपये के बीच होने की उम्मीद है. अगले चरण के रूप में, शोध टीम रोबोट की संवाद क्षमताओं में सुधार करने, स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक वातावरण में वास्तविक दुनिया में पायलट परीक्षण करने तथा इसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए उपयोगकर्ताओं से प्रतिक्रिया एकत्र करने की योजना बना रही है. इसके अतिरिक्त, शोधकर्ता तकनीक के व्यवसायीकरण के लिए रोबोटिक्स, एआइ और सहायक तकनीकों के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों के साथ संभावित सहयोग के अवसरों की भी तलाश कर रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

