Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), राउरकेला की एक रिसर्च टीम ने प्रो प्रीतम सरकार (एसोसिएट प्रोफेसर, खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरिंग विभाग) के मार्गदर्शन में एक इंटेलिजेंट फूड पैकेजिंग परत का विकास किया है. इसके लिए प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का उपयोग किया गया है. यह पीएच बदलने से होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर सीफूड की ताजगी की रियल-टाइम निगरानी के लिए डिजाइन की गयी है. यह परत खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और अपशिष्ट कम करने का व्यावहारिक समाधान बन कर सामने आयी है. यह अभूतपूर्व नवाचार करते हुए रिसर्च टीम ने कोदो बाजरा स्टार्च से पीएच-सेंसिटिव इंटेलिजेंट परत का विकास किया है, जिससे सभी प्रकार के सीफूड की ताजगी की सटीक निगरानी हो सकती है.
सड़न से संबंधित कम्पाउंड वाष्प्शील अमीनों का पता लगाने में सक्षम
यह परत आमतौर पर खाद्य पदार्थों की सड़न से संबंधित कम्पाउंड वाष्प्शील अमीनों का पता लगाने में सक्षम है और रंग में प्रत्यक्ष बदलाव के माध्यम से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता दर्शाती है. यह परत कोदो बाजरा (पास्पालम स्क्रोबिकुलैटम) से प्राप्त स्टार्च, गम ट्रागैकैंथ (एक प्राकृतिक पौधे का गोंद) और चुकंदर के छिलके के निचोड़ से विकसित की गयी है, जिसमें बीटालेन नामक पीएच-सेंसिटिव पिगमेंट होते हैं. इन प्राकृतिक घटकों की वजह से यह परत बायोडिग्रेडेबल, सुरक्षित और प्रतिक्रियाशील है. इसलिए यह सतत विकास के लक्ष्यों के अनुरूप है और बिना काटे सीफूड की ताजगी का पता लगाने में सक्षम है.
फूड पैकेजिंग एंड शेल्फ लाइफ जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध निष्कर्ष
इस शोध के निष्कर्ष शोधपत्र के रूप में एक जर्नल फूड पैकेजिंग एंड शेल्फ लाइफ में प्रकाशित किये गये हैं. प्रोफेसर प्रीतम सरकार (मुख्य संबद्ध लेखक के रूप में) ने अपने शोध विद्यार्थिओं, राहुल ठाकुर, हर्षी सिंघी, वेदसागर राजेश सूर्यवंशी और डॉ रवीचंद्रन संतोष के साथ यह शोधपत्र लिखा है. अन्य सह-लेखकों में एनआइटी राउरकेला के डॉ खालिद गुल, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के डॉ स्वरूप रॉय, साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी, ब्रूकिंग्स, यूएसए के डॉ श्रीनिवास जनस्वामी और आइआइटी रुड़की के डॉ कीर्तिराज के गायकवाड़ शामिल हैं.
वैश्विक मछली उत्पादन में भारत का योगदान है आठ फीसदी
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% का योगदान देता है. यह विश्व स्तर पर झींगा के शीर्ष पांच उत्पादकों में से एक है, जिसमें जमे हुए झींगे भारत का प्रमुख निर्यात उत्पाद हैं. इतने बड़े पैमाने पर समुद्री खाद्य पदार्थों के उत्पादन का महत्व समझते हुए यह जरूरी है कि ताजगी सुनिश्चित करने और सड़न की समस्या रोकने वाले नवाचार किये जायें. यही वजह है कि पूरी दुनिया में इंटेलिजेंट पैकेजिंग सिस्टम में दिलचस्पी बढ़ रही है. ये खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की निगरानी रखते हुए उनका संरक्षण सुनिश्चित करते हैं. आम पैकेजिंग सिर्फ सुरक्षा की परत तैयार करते हैं, जबकि इससे भिन्न एनआइटी राउरकेला टीम द्वारा विकसित इंटेलिजेंट पैकेजिंग परत अंदर के उत्पाद की स्थिति के बारे में स्पष्ट संकेत देती है. इसलिए इस परत से खाद्य सुरक्षा बढ़ने और अपशिष्ट कम होने की प्रबल संभावना दिखती है. शोध के अगले चरण में यह टीम इस तकनीक के वास्तविक उपयोगों की संभावना तलाशने के लिए समुद्री खाद्य उद्योग के भागीदारों से संपर्क साध रही है. प्रयोगशाला स्तर पर इस परत के उत्पादन की लागत लगभग 900 रुपये प्रति किलोग्राम आंकी गयी थी. लेकिन औद्योगिक स्तर पर उत्पादन करने से यह लागत 400 रुपये से 600 रुपये प्रति किलोग्राम होने का अनुमान है. इस तरह यह परत व्यावसायिक उपयोग का बेहतर विकल्प बन सकता है.
सीफूड खराब होने पर बदलने लगता है पैकेजिंग मटीरियल की परत का रंग
प्रो प्रीतम सरकार ने इस शोध प्रक्रिया के बारे में बताया कि हमने सबसे पहले कोदो बाजरे को भिगोकर, पीसकर, छानकर और सुखाकर स्टार्च निकाला. चुकंदर के छिलके का निचोड़ अलग से तैयार किया गया और फिर स्टार्च, गम ट्रैगैकैंथ और थोड़ी मात्रा में ग्लिसरॉल के साथ मिला कर परत तैयार की गयी. इन्हें सुखाया गया और सीफूड की ताजगी की निगरानी के लक्ष्य से उनकी पीएच-सेंसिटिवटी और प्रभावशीलता का परीक्षण किया गया. चुकंदर के छिलकों में बीटालेन नामक पिगमेंट समूह होता है जो चमकीले रंगों और पीएच-सेंसिटिवटी के लिए जाना जाता है. इन पिगमेंट में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं इसलिए ये खाद्य पदार्थों से संबंधित उपयोगों के लिए उपयुक्त हैं. मूल रूप से स्टार्च की इस परत में प्राकृतिक कम्पाउंड शामिल किये जाने से बायोडिग्रेडेबल, सुरक्षित और रिस्पांसिव पैकेजिंग मटीरियल तैयार होता है. जब सीफूड खराब होने लगता है और पीएच का स्तर बढ़ जाता है, तो इस परत का रंग बदल जाता है. यह खाद्य पदार्थ की ताजगी की स्थिति का सूचक है, जो हमें स्पष्ट दिखता है.
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