Rourkela News: खदान बहुल बणई अनुमंडल में बीएनआर लॉजिस्टिक के निदेशक बजरंग अग्रवाल की मनमानी के खिलाफ अंचल के आदिवासियों ने शुक्रवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. स्थानीय लोगों ने बजरंग अग्रवाल की दादागिरी और मनमानी के विरोध में जमकर नारेबाजी की. इस विरोध रैली में बड़ी संख्या में आदिवासी पुरुष और महिलाएं शामिल हुए. वहीं, खंडाधार कुर्मिते लौह खदान के मुख्य गेट को भी जाम कर दिया गया. समाचार लिखे जाने तक आंदोलन जारी है.
ओराम लॉजिस्टिक को काम नहीं देने के लिए खरीदारों और कंपनियों धमकाने का आरोप
जानकारी के अनुसार, ओराम लॉजिस्टिक को ओडिशा मेटालिक्स में काम मिला था, लेकिन बीएनआर लॉजिस्टिक के निदेशक बजरंग अग्रवाल ने इसे काम नहीं देने के लिए खरीदारों और कंपनियों को धमकी दी. उन्होंने कहा कि अगर वे ओराम लॉजिस्टिक को काम देंगे, तो लोडिंग के लिए रैक प्रदान नहीं किया जायेगा. इससे नाराज होकर स्थानीय आदिवासियों ने ओराम कंपनी का समर्थन किया और एकजुटता दिखायी. आदिवासियों का कहना है कि बीएनआर लॉजिस्टिक पिछले 25-30 वर्षों से यहां एकछत्र कारोबार कर रही है. जिन आदिवासियों ने खदान के लिए अपनी जमीन, मकान खोये और विस्थापित हुए, वे यहां काम करना चाहते हैं, ताकि अपना जीवन सुधार सकें और जीवनशैली में बदलाव ला सकें. लेकिन बजरंग अग्रवाल की मनमानी के कारण उन्हें रोक दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने स्पष्ट किया कि अब वे इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे और लगातार आंदोलन करते रहेंगे. इस मामले में बीएनआर लॉजिस्टिक के निदेशक बजरंग अग्रवाल का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली.
हुक्मरान को कारोबारी ने दी चुनौती, खंडाधार में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई
राउरकेला के खंडाधार में परिवहन उद्योग वर्चस्व की लड़ाई का अखाड़ा बन चुका है। शुक्रवार का प्रदर्शन लंबे समय से चल रही नाराजगी की शुरुआत माना जा रहा है. दरअसल यह विवाद सियासी हुक्मरान और एक कारोबारी के बीच अहं की लड़ाई में बदल चुका है. बताते हैं कि हुक्मरान के करीबी रिश्तेदार को हाल ही में काम मिला, लेकिन कारोबारी ने रसूख दिखाते हुए उसे रोक दिया. यह बात जब हुक्मरान तक पहुंची तो वे नाराज हो गये, जबकि कारोबारी का साम्राज्य विस्तार उन्हीं के संरक्षण में हुआ था. अब हालात ऐसे हैं कि कारोबारी समझौते की कोशिश कर रहा है, लेकिन फोन उठने तक की गुंजाइश खत्म हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार, वह राउरकेला से लेकर सुंदरगढ़ तक निजी संपर्क साध रहा है, पर कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा. कारोबारी हमेशा सत्ता के करीब रहा है, मगर इस बार सत्तारूढ़ गुट को चुनौती देना उस पर भारी पड़ सकता है.
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