Jharsuguda News : झारसुगुड़ा जिले में खदानों और उद्योगों की वजह से जंगल खत्म होते जा रहे हैं. लेकिन, वनों की रक्षा की जिम्मेवारी जिस विभाग के पास है उसके कर्मचारी भी जंगल की रक्षा के प्रति जवाबदेही नहीं निभा रहे हैं. लइकेरा ब्लॉक से पेड़ों की तस्करी में वन विभाग के कर्मचारी के शामिल होने की बात सामने आयी है. इस ब्लॉक के बाबूचीपिडीह बारगाढ ग्रामीण जंगल से एक साल के पेड़ और 2 साहाज पेड़ की तस्करी करते हुए ग्रामीणों ने एक फॉरेस्ट गार्ड को पकड़ा है. ग्रामीणाोें की शिकायत के अनुसार कुछ दिन पहले बारगाढ ग्रामीण जंगल में एक साल का पेड़ तूफान में उखड़ गया था. इसके बाद बागडिही वन विभाग की महिला वन रक्षक सुनादेई मेहेर शुक्रवार की शाम (23 मई) को उक्त साल के पेड़ को मशीन से कटवा दिया था. सोमवार की सुबह जाममाल गांव से एक ट्रैक्टर बुलाकर काटे हुए पेड़ को उस पर लादने के बाद उसने दो और साहाज के पेड़ को कटवाकर ट्रैक्टर पर लाद दिया. इसे देख बारगाढ गांव के वन सुरक्षा समिति के पदाधिकारी और ग्रामीण मौके पर पहुंचे और पेड़ों से लदे ट्रैक्टर को रोक दिया. ग्रामीणों ने पूछा कि जब वन विभाग गांव के किसी व्यक्ति के छोटा-मोटा पेड़ काटने पर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज देता है, तो विभाग के कर्मचारियों को पेड़ काटने की अनुमति किसने दी? इस पर वन रक्षक ने ग्रामीणों को बताया कि रेंजर से पेड़ ले जाने की अनुमति मिली है. लेकिन ग्रामीणों ने ट्रैक्टर और फॉरेस्ट गार्ड को रोक लिया. सूचना मिलने पर लइकेरा थाना के प्रभारी दिलीप बेहरा, रेंजर वंदना पसायत और वनपाल मुरारी प्रसाद साहू मौके पर पहुंचे. वहां रेंजर ने अनुमति देने की बात से इनकार कर दिया और पेड़ों को जब्त करने का आदेश दिया. ग्रामीणों द्वारा उक्त वन रक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की लिखित मांग करने के बाद भी उन्हें छोड़ दिया गया. ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत करने पर भी विभागीय उच्च अधिकारी चुपी साधे रहते हैं.
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