Rourkela News: केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची संशोधन के नाम पर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के माध्यम से देश के निवासियों की नागरिकता सत्यापित करने की प्रक्रिया, जो बिहार से शुरू हुई और अब पूरे देश में लागू की जा रही है, पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. शुक्रवार को माकपा द्वारा एडीएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए उक्त आरोप लगाये गये. साथ ही चुनाव आयोग के इस तरह के कृत्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए इस पर लगाम कसने की मांग की. माकपा राउरकेला क्षेत्रीय समिति, रघुनाथपाली क्षेत्रीय सांगठनिक समिति और बिसरा शाखा ने विरोध प्रदर्शन किया और चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा.
चुनाव आयोग एक विशेष संवैधानिक पद, विश्वसनीयता बनाये रखना आवश्यक
माकपा राउरकेला क्षेत्रीय समिति के सचिव राजकिशोर प्रधान की अध्यक्षता में आयोजित विरोध प्रदर्शन को पार्टी के जिला सचिव मंडली सदस्य श्रीमंत बेहरा, सुरेंद्र दाश, जिला समिति सदस्य बीपी महापात्र, रघुनाथपाली क्षेत्रीय आयोजन समिति के संयोजक हृदयानंद यादव, विश्वजीत मांझी, चंद्रभानु दास, लक्ष्मीधर नायक, सुरेंद्र मोहंती, पी मोहंती, अरुण महाराणा, सुभाष वर्धन, विनय बेहुरिया, प्रदीप सेठी ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि चूंकि चुनाव आयोग एक विशेष संवैधानिक पद है, इसलिए इसकी गरिमा बनाये रखना और लोगों के बीच इसकी विश्वसनीयता बनाये रखना आवश्यक है, अन्यथा यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक जटिल प्रश्नचिह्न खड़ा करेगा.
नागरिकता का सत्यापन चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर
माकपा नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग के पास नागरिकों के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है. देशवासियों की नागरिकता का सत्यापन करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का कार्य है, इसलिए वक्ताओं ने आयोग को इससे दूर रहने की चेतावनी दी. विरोध कार्यक्रम का आयोजन दिवाकर महराणा, सुधांशु जेना, अनादि साहू, बच्चीराम बेहरा, सुभेंदु मोहंती, तलत महमूद, प्रमोद परिडा, बुधनी मुंडारी, शांति मिंज, शकुंतला महाकुड़, केशव साहू, राजू सोना समेत अन्य ने किया.
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