Jharsuguda News: झारसुगुड़ा जिला पशु चिकित्सालय साल के विभिन्न समय में विवादों में घिरता रहा है. आरोप लगाया गया है कि अक्सर अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं रहता है. विभाग पशु चिकित्सा के नाम पर इमारतों का निर्माण कर रहा है, लेकिन इलाज प्रदान करने के लिए कोई डॉक्टर नियुक्त नहीं है. इस बीच यह आरोप लगाया गया है कि पिछले छह महीनों से इलाज करा रहे जानवरों के लिए उनके मालिकों को बाहर से ही दवा खरीदनी पड़ रही है.
सुबह चार और शाम में दो घंटे खुला रहता है पशु चिकित्सालय
इस बारे में पूछे जाने पर उप-विभागीय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ भगवती प्रसाद दाश ने कहा कि डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण इलाज प्रभावित हो रहा है और सरकार हर ब्लॉक को हर महीने 15,000 रुपये की दर से मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करा रही है. जिला मुख्य पशु चिकित्सालय भी दिन में हर समय नहीं खुला रहता. अस्पताल सुबह चार घंटे और शाम को दो घंटे खुला रहता है. यहां चार की जगह केवल एक पशुचिकित्सक की नियुक्ति है. जिला डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी में सभी पद रिक्त होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है. पशुओं के लिए दवाइयां और इंजेक्शन मुफ्त उपलब्ध कराये जाते थे, लेकिन अब यहां दवाइयां या इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं.
इलाज के लिए औसतन 30 पशु लाये जाते हैं रोजाना
जिला प्रमुख पशु चिकित्सालय में रोजाना औसतन 30 पशु लाये जाते हैं, लेकिन यहां कई तरह की दवाओं की कमी है. जिसके कारण उनका इलाज नहीं हो पाता है और दवाएं दुकानों से खरीदनी पड़ती हैं. इससे मवेशी पालने वाले किसानों को अनावश्यक खर्च उठाना पड़ रहा है. इस बारे में पूछे जाने पर एसडीवीओ श्री दाश ने कहा कि पहले सरकार मुफ्त दवाइयां देती थी, लेकिन अब यह बंद हो गयी है और हर ब्लॉक को 15,000 रुपये प्रति माह मिल रहे हैं. चूंकि मुख्य पशु चिकित्सालय झारसुगुड़ा ब्लॉक में है, इसलिए 15,000 रुपये में से 5,000 रुपये मुख्य पशु चिकित्सालय को, 5,000 रुपये ब्रजराजनगर पशु चिकित्सालय को और 5,000 रुपये आवश्यक दवाइयां खरीदने के लिए मोबाइल यूनिट को दिये जा रहे हैं.
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