28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अस्पताल ने नहीं बरती लापरवाही, कोर्ट से बोली महाराष्ट्र सरकार- चिकित्सकों पर अत्यधिक दबाव

नांदेड़ और छत्रपति संभाजी नगर के सरकारी अस्पताल में बीते दिनों मरीजों की हुई मौत मामले में बंबई हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब किया था. इस पर राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि ऐसा नहीं लगता कि सरकारी अस्पतालों की ओर से कोई घोर लापरवाही बरती गई है.

महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि नांदेड़ और छत्रपति संभाजी नगर में संचालित सरकारी अस्पताल में निजी अस्पतालों से बेहद गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों की संख्या अधिक होती है. इस पर अदालत ने कहा कि राज्य अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.इन्हीं सरकारी अस्पतालों में हाल के दिनों में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई है. राज्य सरकार ने मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ को बताया कि ऐसा नहीं लगता कि सरकारी अस्पतालों की ओर से कोई घोर लापरवाही बरती गई है.

अधिकारियों के अनुसार 30 सितंबर से 48 घंटों में नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कई शिशुओं सहित 31 मरीजों की मौत हो गई जबकि छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक से दो अक्टूबर के बीच 18 मरीजों की मौत हुई.

कोर्ट ने मौत मामले में लिया था स्वत: संज्ञान

मुंबई हाई कोर्ट ने इससे पहले अस्पताल में हो रही मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि मरीजों के लिए अस्पतालों में आवश्यक सभी दवाएं और अन्य उपकरण उपलब्ध थे और प्रोटोकॉल के अनुसार उनका इस्तेमाल किया गया. जिन मरीजों की मौत हुई है उन्हें गंभीर हालत में अन्य अस्पतालों से लाया गया था. सराफ ने कहा, ‘‘मुद्दे हैं. इससे कोई इनकार नहीं है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि अस्पतालों की ओर से कोई घोर लापरवाही बरती गई. यकीनन जो हुआ, वह दुखद है. लोग मरे हैं. प्रत्येक मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों पर अत्यधिक दबाव है.

कोर्ट ने जानना चाहा कि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने की क्या योजना बना रही है. मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, इसे कैसे मजबूत करेंगे? कागज पर तो सबकुछ है लेकिन अगर इसे अमल में नहीं लाया गया तो कोई फायदा नहीं. यह सिर्फ खरीद (दवाइयों और सजो सामान) के बारे में नहीं है बल्कि महाराष्ट्र में स्वास्थ्य देखभाल के बारे में है. उन्होंने कहा, ‘‘ आप (महाराष्ट्र सरकार) यह कह कर नहीं बच सकते कि दबाव है. आप किसी अन्य पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकते. अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने अच्छी नीतियां पेश की हैं लेकिन उन्हें लागू नहीं किया है.

पीठ ने नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के अस्पतालों में हुई मौतों का कारण जानना चाहा. न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर ने पूछा,‘‘ स्थिति यहां तक कैसे पहुंची, क्या हुआ? सराफ ने कहा कि छोटे और निजी अस्पताल मरीजों की हालत गंभीर होने पर उन्हें सार्वजनिक अस्पतालों में रेफर करते हैं. सराफ ने कहा, अधिकतर मरीज (जिनकी नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर अस्पतालों में मौत हुई) को इन अस्पतालों में तब रेफर किया गया जब इनकी हालत अत्यधिक गंभीर थी. इनमें से अधिकतर की एक दिन में ही मौत हो गई—इसमें शिशु भी शामिल हैं. उन्होंने दावा किया कि पहले भी इन अस्पतालों में एक दिन में 11 से 20 मौतें हो चुकी हैं.

सराफ ने कहा, सरकारी अस्पताल लोगों से जाने के लिए नहीं कह सकते. वे सभी को सहूलियत देने की कोशिश करते हैं. नांदेड़ में शिशु मृत्यु के 12 मामले हैं. इनमें से केवल तीन का जन्म सरकारी अस्पताल में हुआ. शेष को अन्य अस्पतालों से बेहद गंभीर हालत में लाया गया था. उन्होंने बताया कि सरकार ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो सभी सरकारी अस्पतालों में जाएगी और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. पीठ ने कहा कि सरकार ने मौतों के पीछे जो कारण बताए हैं वे हैं बड़ी संख्या में मरीजों का आना, निजी और छोटे अस्पतालों से रेफर किया जाना और मरीजों को बेहद गंभीर हालत में लाया जाना.

पीठ ने पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लिए बजट आवंटन में कमी पर भी अफसोस जताया. अदालत ने कहा, सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में कुल बजट का 4.78 प्रतिशत सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया गया था. 2021-22 में यह 5.09 फीसदी था, 2022-23 में यह 4.24 फीसदी था और अब 2023-24 में यह 4.01 फीसदी है. गिरावट स्पष्ट है. पीठ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग के प्रधान सचिवों को सभी सरकारी अस्पतालों में स्वीकृत पदों और ऐसे पदों की रिक्तियों का विवरण देने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. हलफनामा 30 अक्टूबर तक दाखिल किया जाएगा, इसके बाद अदालत मामले की सुनवाई करेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें