Hemant Soren, चाईबासा: झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव खून चढ़ा देने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन समेत अन्य पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. साथ ही पीड़ित परिवारों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये देने घोषणा की है. इसके अलावा सीएम ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान को इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेने का निर्देश दिया है. उन्होंने ये जानकारी अपने एक्स हैंडल पर दी. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने इस घटना के लिए मंत्री इरफान अंसारी से इस्तीफा मांगा है.
सभी ब्लड बैंक का ऑडिट कराने का निर्देश
मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का संक्रमित होना बेहद चिंता और पीड़ा का विषय है. उन्होंने राज्य के सभी ब्लड बैंक का ऑडिट कराकर पांच दिनों के भीतर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि स्वास्थ्य प्रक्रिया में किसी भी तरह की लचर व्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अंत में उन्होंने मंत्री इरफान को टैग कर इस मामले में संज्ञान लेने का निर्देश दिया.
पीड़ित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रुपया
इसके बाद मुख्यमंत्री अपने आगे की पोस्ट में सिविल सर्जन समेत अन्य पदाधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने लिखा कि चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की सूचना पर पश्चिमी सिंहभूम सिविल सर्जन समेत अन्य संबंधित पदाधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दे दिया गया है. पीड़ित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रूपये की सहायता राशि राज्य सरकार देगी और संक्रमित बच्चों का पूरा इलाज भी सरकार द्वारा कराया जाएगा.
मंत्री इरफान अंसारी बोले- उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किये गये हैं
मुख्यमंत्री से संज्ञान लेने का निर्देश मिलने के बाद मंत्री इरफान अंसारी ने सीएम को जवाब देते हुए लिखा ”आपको अवगत कराना चाहता हूं कि दो दिन पहले यह मामला मेरे संज्ञान में आया था. इसके बाद मैंने तुरंत उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी किए. जांच के दौरान एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे में एचआईवी संक्रमण की प्रारंभिक पुष्टि हुई है. उन्होंने आगे लिखा कि इस गंभीर घटना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए चाईबासा के सिविल सर्जन, एचआईवी यूनिट के प्रभारी चिकित्सक और संबंधित टेक्नीशियन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही मैंने एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं. जांच में यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि रक्त आपूर्ति ब्लड बैंक से हुई थी या बाहर से. ध्यान देने योग्य है कि एचआईवी संक्रमण की पुष्टि में लगभग चार सप्ताह का समय लगता है. विंडो पीरियड के दौरान यदि संक्रमित रक्त ट्रांसफ्यूज हो जाए, तो इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
बीजेपी ने मामले को बताया बड़ी लापरवाही
वहीं, झारखंड के भाजपा नेता प्रतुल शाह देव ने इसे बड़ी लापरवाही बताया है. उन्होंने कहा कि एक तो यहां एड्स का इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन दूसरी ओर इस वजह से दूसरे बच्चों की जान जोखिम में पड़ी है. उन्होंने मामले की तुरंत जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है, इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की है.
क्या एक जीवन की कीमत सिर्फ 2 लाख रुपए: प्रतुल शाहदेव
प्रतुल शाहदेव ने झारखंड के मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या एक जीवन की कीमत सिर्फ 2 लाख रुपए है? उन्होंने लिखा ”केवल सस्पेंशन से काम नहीं चलेगा. स्वास्थ्य मंत्री को हटाया जाए और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. क्योंकि यह सुरक्षा नियमों की चूक और सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का मामला है, जिसमें बच्चों की जान खतरे में पड़ी है. बीजेपी के इस नेता ने कड़ी कार्रवाई और जिम्मेदारी तय करने की मांग की है.
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