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जीएसटी के पेच में फंसे निजी व सरकारी बस पड़ाव की बंदोबस्ती,अब चुनाव बाद दोबारा निकलेगी निविदा

चाईबासा बस ओनर एसोसिएशन जीएसटी नहीं देने पर अड़ा गया है.बस ओनर एसोसिएशन का कहना है कि हर साल बस पड़ाव की बंदोबस्ती में 10% की राशि बढ़ा दी जाती है.

चाईबासा.

चाईबासा का निजी एवं सरकारी बस पड़ाव की बंदोबस्ती पर जीएसटी का पेच पड़ने से तय समय पर बंदोबस्ती नहीं हो पायी है. ऐसे में स्टैंड की बंदोबस्ती ठंडे बस्ते में चली गयी है. हालांकि, नप प्रशासक ने जून माह में दोनों बस पड़ाव की बंदोबस्ती कराने की बात कही है. जबकि बस ओनर एसोसिएशन जीएसटी नहीं देने पर अड़ा है. बस ओनर एसोसिएशन का कहना है कि हर साल बस पड़ाव की बंदोबस्ती में 10% की राशि बढ़ा दी जाती है. वहीं अब 18% जीएसटी भी मांगी जा रही है. ऐसे में बंदोबस्ती और जीएसटी की राशि मिलाकर कुल 28% अधिक राशि अदा करनी होगी, जो संभव नहीं है. यही वजह है कि बस पड़ाव की बंदोबस्ती के लिए बोली नहीं लगायी जा सकी है. एसोसिएशन की मानें तो फरवरी 2024 में ही नप की ओर से बस पड़ाव की डाक बंदोबस्ती की निविदा निकाली गयी थी, जिसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारी इस निविदा में भाग लेने गये थे, लेकिन तब जीएसटी को भी अनिवार्य बताया गया था. नतीजतन एसोसिएशन को बंदोबस्ती की कार्रवाई से पीछे हट जाना पड़ा और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इधर, बस पड़ाव की बंदोबस्ती नहीं होने के बावजूद प्रत्येक यात्री बसों को अब भी 70 रुपये की दर से रुपये अदा करनी पड़ रही है.

2022- 23 में निजी बस स्टैंड की 22 लाख में हुई थी बंदोबस्ती:

जानकारी के अनुसार, इससे पूर्व नप ने 2022- 23 के लिए दोनों बस पड़ाव की बंदोबस्ती की थी. उस समय में निजी बस पड़ाव को 22 लाख रुपये में बंदोबस्त किया गया था, जबकि सरकारी बस पड़ाव को 17.60 लाख रुपये में बंदोबस्ती की गयी थी. इससे पूर्व 2021-22 व 2022-23 में भी राशि ज्यादा होने से सरकारी बस पड़ाव की बंदोबस्ती तीन-तीन माह तक नहीं हो पायी थी. ऐसे में नप को स्वयं ही प्रत्येक छोटे-बड़े वाहनों से 50-50 रुपये के हिसाब से महसूल उठाना पड़ा था. ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव के बाद भी यदि बस पड़ाव की बंदोबस्ती नहीं हो पाती है तो नप को ही वाहनों से महसूल वसूल करना पड़ेगा.

प्रतिदिन बड़े वाहने से 70 व छोटे से 50 रुपये महसूल की होती है वसूली:

उधर, नप प्रशासक ने लोकसभा चुनाव के बाद जून माह में दोनों बस स्टैंड की बंदोबस्ती की निविदा निकालने की बात कही है. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने के कारण अब तक दोनों बस पड़ाव की बंदोबस्ती नहीं हो पायी है. अब जून में फिर से निविदा निकाली जायेगी. इसके बाद ही लोग इस बंदोबस्ती में भाग ले सकेंगे. दूसरी ओर, बस ओनर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मो बारिक ने बताया कि निजी बस पड़ाव से रोजाना 120 यात्री बसों का परिचालन होता है. प्रत्येक बसों से रोज 70 रुपये महसूल की वसूली होती है. जबकि सरकारी बस पड़ाव के निवर्तमान संवेदक सिकंदर यादव ने बताया कि यहां पर सबसे ज्यादा छोटी गाड़ियों का ठहराव होता है, जो रोज दो से तीन ट्रिप सवारियों को ले जाते हैं. ऐसे प्रत्येक छोटी वाहनों से 50 रुपये की दर से महसूल वसूली की जाती है. कभी- कभी दो ट्रिप सवारी ले जाने के कारण कई वाहनों के चालक बिना महसूल दिये ही चले जाते हैं.

कोटनप ने फरवरी माह में बस पड़ाव की डाक निविदा निकाली गयी थी, लेकिन निविदा की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी थी. अब चुनाव खत्म होने के बाद दोनों बस पड़ाव की डाक निविदा निकाली जायेगी: प्रतिभा रानी, प्रशासक, नप

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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