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हाईकोर्ट के अधिवक्ता एके रशीदी ने कहा कमाऊ सदस्य की गिरफ्तारी से असहाय हो जाता है पूरा परिवार मानवाधिकार के साथ-साथ भोजन के अधिकार का भी होता है हनन चाईबासा : घर के कमाऊ सदस्य की गिरफ्तारी से परिवार असहाय हो जाता है. परिवार भोजन से भी वंचित हो जाता है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बंद […]

हाईकोर्ट के अधिवक्ता एके रशीदी ने कहा

कमाऊ सदस्य की गिरफ्तारी से असहाय हो जाता है पूरा परिवार
मानवाधिकार के साथ-साथ भोजन के अधिकार का भी होता है हनन
चाईबासा : घर के कमाऊ सदस्य की गिरफ्तारी से परिवार असहाय हो जाता है. परिवार भोजन से भी वंचित हो जाता है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बंद हो जाती है या वे गलत रास्ते पर चलने लगते हैं. घर के कमाऊ सदस्य की गिरफ्तारी होने की स्थिति में परिवार के भरण-पोषण के लिए सरकार के पास ना तो कोई ठोस कानून है और ना ही कोई योजना. ऐसे में यह मानवाधिकार के साथ-साथ भोजन के अधिकार का भी हनन है. सरकार को ट्रिब्यूनल का गठन कर इस समस्या का समाधान करना चाहिए.
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता एके रशीदी ने शनिवार को चाईबासा के टीआरटीसी सभागार में आयोजित सेमिनार में यह बात कही. इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स और झारखंडीज ऑरगनाईजेशन फॉर ह्यूमन राईट्स व जोहार संस्थान की ओर से विचाराधीन कैदियों के संवैधानिक अधिकार विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया था. रशीदी ने कहा कि कई विचाराधीन कैदी काफी गरीब हैं. उनके लिए फ्री लीगल प्रावधान हैं पर, जागरूकता की कमी के कारण वह नि:शुल्क सेवा उन तक पहुंच नहीं पा रही है.
फादर टोनी ने बताया कि उन्होंने झारखंड के 26 जेलों से विचाराधीन कैदियों के परिवारों की स्थिति की जानकारी मांगी थी. जिसमें, से 12 जेल से कुल 102 कैदियों के परिवारों के बारे में जानकारी मिली. वे काफी कष्टदायक स्थिति में अपना जीवन बिता रहे हैं. मौके पर जोहार संस्था के रमेश जोराई तथा विभिन्न न्यायालयों के अधिवक्ता आदि उपस्थित थे.

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