मोटी कमाई के लिए हल्का जुर्माना देने को तैयार रहते हैं वाहन मालिक
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3-5 हजार जुर्माना देकर सड़कों पर मौत बांट रहे ओवरलोड वाहन
मोटी कमाई के लिए हल्का जुर्माना देने को तैयार रहते हैं वाहन मालिक पश्चिमी सिंहभूम जिले की सड़कों पर प्रतिदिन दौड़ रहें सैकड़ों ओवरलोड वाहन चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम की सड़कों पर ओवरलोड वाहनों के कारण 20 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती हैं. दरअसल इन वाहनों के संचालक मोटी कमाई के लिए सड़क पर तैनात पुलिस कर्मियों […]
पश्चिमी सिंहभूम जिले की सड़कों पर प्रतिदिन दौड़ रहें सैकड़ों ओवरलोड वाहन
चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम की सड़कों पर ओवरलोड वाहनों के कारण 20 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती हैं. दरअसल इन वाहनों के संचालक मोटी कमाई के लिए सड़क पर तैनात पुलिस कर्मियों को 3 से 5 हजार का मामूली जुर्माना देकर अपना काम निकलवा लेते हैं. इसके बाद ओवरलोडिंग की गलती माफ कर दी जाती है. इन्हीं वाहनों के कारण सड़क पर चलने वाले लोग असमय मौत की गोद में समा जा रहे हैं. झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित बंगाल सीमा पर यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है. यहां वाहनों को सीज करने की बजाय चालान काटा जा रहा है.
हर साल हजारों मौतें हो रही दुर्घटनाओं में
प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में हजारों मौतें होती हैं. इनमें सबसे अधिक दुर्घटनाएं ओवरलोड वाहनों के कारण होती है. सबसे अधिक दुर्घटनाएं ट्रकों, ट्रेलरों समेत अन्य भारी वाहनों से होती है.
बिना योजना संचालित हो रहीं ट्रैफिक व्यवस्था
ओवरलोड भारी वाहनों से सबसे अधिक दुर्घटना और मौत हाटगम्हरिया, जगन्नाथपुर, झींकपानी व टाटा-हाता एनएच पर होती है. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का हाल मात्र हेलमेट जांच व जाम हटाने तक सीमित है. कोई व्यवस्थित योजना नहीं होने से दुर्घटनाएं हो रहीं है. शहर में पार्किंग, जमीन, परिवहन की कमान अलग-अलग हाथों में है.
तीन विभागों में उलझती है कार्रवाई
वाहनों पर कार्रवाई का मामला तीन विभागों के बीच उलझता है. ज्यादातर मामलों में पुलिस हाथ नहीं डालती है. डीटीओ भी कार्रवाई से पीछे भागते हैं. वहीं सीमा शुल्क एवं वणिज्य विभाग के साथ अन्य जिम्मेदार अधिकारी बड़ी कार्रवाई की बजाय जुर्माना लेकर वाहनों को पास कर देते हैं. प्रदेश में बालू को लेकर मुहिम नहीं चलता है. इस कारण प्रदेश में सबसे अधिक बालू व मिट्टी लदे भारी वाहनों की इंट्री होती है. कड़ा नियम बने तो सड़क दुर्घटना के ग्राफ में काफी हद तक कमी आयेगी.
जिले में सड़क दुर्घटनाएं
जनवरी 2018 में 11 लोगों ने गंवाई जान
फरवरी 2018 में दुर्घटना में 13 लोगों की मौत
वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में 105 लोगों की मौत, 242 घायल
वर्ष 2015 में 107 लोगों की हुई मौत, 112 घायल
वर्ष 2016 में 107 लोगों ने तोड़ा दम, 172 जख्मी
ओवरलोड वाहनों से दुर्घटना की स्थिति
20 प्रतिशत दुर्घटनाएं ओवरलोड वाहनों से होती हैं
देश में 75 प्रतिशत मौतों का कारण बनते हैं ओवरलोड वाहन
प्रदेश में 50 प्रतिशत ओवरलोडेड ट्रक चलते हैं
स्टीयरिंग से नियंत्रण फेल होने के कारण 50 प्रतिशत दुर्घटनाएं
ओवरलोड वाहनों से 80 फीसदी सड़क खराब होती है
महज 5 हजार जुर्माना के बाद मिलता है ओवरलोड वाहनों को परमिशन स्रोत : एनसीआरबी और झारखंड पुलिस.
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