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“140 करोड़ के वर्चुअल क्लास रूम से एक वर्ष में एक कक्षा नहीं

केयू. छात्रों के पैसे से खरीदे गये, अबतक ठीक से नहीं कर रहा काम सप्लाई करने वाली एजेंसी को 80 फीसदी राशि का कर दिया गया भुगतान विवि के कई कॉलेजों में अब तक नहीं जुड़ पाई सुविधा, पड़ा हुआ है सिस्टम चाईबासा : छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का सिस्टम […]

केयू. छात्रों के पैसे से खरीदे गये, अबतक ठीक से नहीं कर रहा काम

सप्लाई करने वाली एजेंसी को 80 फीसदी राशि का कर दिया गया भुगतान
विवि के कई कॉलेजों में अब तक नहीं जुड़ पाई सुविधा, पड़ा हुआ है सिस्टम
चाईबासा : छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का सिस्टम कबाड़ में तब्दील हो रहा है. कोल्हान विवि सहित अंगीभूत कॉलेजों में डिजिटल एजुकेशन के नाम पर खरीदा गया वर्चुअल क्लास रूम सिस्टम पिछले एक साल से बेकार पड़ा हुआ है. करीब 1.40 करोड़ रुपये से खरीदा गया यह उपकरण अब तक शुरू नहीं हो सका है. विवि ने इस मद में 80 फीसदी राशि का भुगतान तक
कर दिया है. पिछले एक साल से वर्चुअल क्लास रूम के जरिये एक कक्षा तक आयोजित नहीं हो सकी है. सिस्टम जांच के नाम पर कई बार इस उपकरण को प्रयोग में लाने का प्रयास जरूर किया गया,
लेकिन हर बार यह कहीं न कहीं नाकाम साबित हुआ. विवि सहित 15 अंगीभूत कॉलेजों को वर्चुअल क्लास रूम की सुविधा से जोड़ने की योजना बनी थी, लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हो सका है.
विवि ने सिस्टम के खरीद के साथ ही इसे डिजिटल एजुकेशन क्रांति के रूप में प्रचारित किया.
हकीकत में पिछले एक साल में यह कराेड़ों की लागत से खरीदे गये डब्बे में रूपांतरित हो गया.
सिस्टम के ठीक से काम नहीं करने के आधार पर रोका भुगतान
वर्चुअल क्लास रूम का सिस्टम ठीक से काम नहीं करने को आधार बनाकर सामग्री की सप्लाई करने वाली एजेंसी की 20 फीसदी राशि विवि की ओर से रोक कर रखी गयी है. बड़ा सवाल यह है कि अगर सिस्टम काम नहीं कर रहा तो पूर्व की राशि का भुगतान क्यों किया गया. विवि के आला अधिकारी अब इस पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.
शिक्षकों की कमी दूर करने के विकल्प के तौर पर किया गया था पेश
विवि की ओर से वर्चुअल क्लास रूम सिस्टम की खरीद के समय इसे शिक्षकों की कमी दूर करने के विकल्प के तौर पर पेश किया गया. कहा गया था कि सिस्टम से जुड़ने के बाद विवि एवं अंगीभूत कॉलेज देश-दुनिया के दूसरे उच्च शिक्षण संस्थान से बस एक क्लिक में जुड़ सकेंगे. किसी एक क्लास में पढ़ाने वाले शिक्षक की कक्षाएं दूसरे सभी काॅलेजों में एक साथ पहुंच सकेंगी. विवि से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव आयेगा. करीब एक साल का समय गुजरने के बावजूद हकीकत में ऐसा कुछ नहीं हुआ.
दावा यह भी किया गया था कि अगर क्लास के दाैरान कनेक्शन टूट जाता है, तो संबंधित शिक्षक का लेक्चर रिकाॅर्ड कर कॉलेजों को भेजा जा सकेगा. विवि के यह सभी दावे पूरी तरह हवा-हवाई साबित हुये.
यह सही है कि विवि में वर्चुअल क्लास रूम की व्यवस्था काम नहीं कर रही. अब तक यह सिस्टम विवि के सभी अंगीभूत काॅलेजों से ठीक से जुड़ नहीं पाया है. इस कारण परेशानी हो रही है.
– डॉ. रणजीत कुमार सिंह, प्रतिकुलपति, कोल्हान विवि
विवि की ओर से डिजिटल क्लास रूम की योजना के तहत सिस्टम की खरीद की गयी. इसकी उपयोगिता को लेकर विवि को नये सिरे से विचार करना चाहिये.
– डॉ. अविनाश कुमार, उप निदेशक, रूसा, झारखंड
छात्रों की मांग, सिस्टम खरीद की जांच हो
निश्चित रूप से हमें इस नये सिस्टम का कोई फायदा नहीं मिला. विवि को बताना चाहिये कि करोड़ों रुपये की खरीद किसको लाभ पहुंचाने के लिए की गयी.
– माला कुमारी, बीकॉम पार्ट-3

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