किरीबुरू : विश्व प्रसिद्ध सारंडा समेत झारखंड-अोड़िशा सीमावर्ती क्षेत्र के रिजर्व जंगलों में हो रही लकड़ियों की तस्करी एवं वन प्राणियों के शिकार पर अंकुश लगाने को लेकर एक बार फिर से कवायद शुरू की गयी है. इसके तहत डीएफओ सारंडा सह प्रभारी सीएफ सतीश चंद्र राय एवं डीएफओ राउरकेला संजय कुमार सवैंया के संयुक्त प्रयास से दोनों राज्यों के वन अधिकारियों की बैठक राउरकेला में हुई. बैठक के बाबत श्री राय ने कहा कि सारंडा जंगल का 70 फीसदी हिस्सा उड़ीसा सीमा से सटा है,
जहां से घुसकर तस्कर लकड़ी काट कर चले जाते हैं. इन सब के मद्देनजर राउरकेला के डीएफओ को पत्र लिख कर दोनों राज्यों के फॉरेस्ट डिवीजन की संयुक्त टीम बना कर लकड़ी तस्करों पर लगाम लगाने का आग्रह किया गया था. इसी के मद्देनजर बुधवार को राउरकेला मेंदोनाें राज्यों के फॉरेस्ट पदाधिकारियों की बैठक हुई, जो सफल रही. मौके पर तय हुआ कि दोनों डिवीजन अब सीमावर्ती जंगलों में लकड़ी माफियाओं के खिलाफ संयुक्त कार्यवाही व सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे.
यह भी बात सामने आयी कि सीमावर्ती जंगल क्षेत्र के कुछ गांव लकड़ी तस्करी व तस्करों को संरक्षण देने में लिप्त हैं और इन्हें चिह्नित भी कर लिया गया है. जल्द ही इन गांवों पर दोनों राज्यों की संयुक्त टीम छापेमारी करेगी. गौरतलब है कि सारंडा को बचाने के लिए वन विभाग ने पिछले दिनों सैकड़ों वन रक्षियों को विशेष प्रशिक्षण देकर सारंडा में तैनात किया है. इसके अलावा मानदेय पर लगभग पचास वन मित्रों को भी सारंडा में नियुक्त किया गया है. इसमें श्री राय महती भूमिका निभा रहे हैं.