23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

ट्रिब्यूनल के आदेश की अवहेलना करने पर कैद व जुर्माना का प्रावधान : पीडीजे

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 पर जागरूकता कार्यशाला

सिमडेगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में सिमडेगा कॉलेज में सोमवार को माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उदघाटन पीडीजे राजीव कुमार सिन्हा, उपायुक्त कंचन सिंह, एसडीओ प्रभात रंजन ज्ञानी, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामप्रीत प्रसाद, सचिव प्रद्युम्न सिंह, प्राचार्य प्रो देवराज प्रसाद समेत अन्य अधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम में प्राधिकार के अध्यक्ष सह पीडीजे राजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि समाज में ऐसे भी बुजुर्ग हैं, जो अकेले पड़ चुके हैं या जिनका कोई सहारा नहीं है. जिला प्रशासन ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम संचालित कर रहा है. उन्होंने कॉलेज प्रशासन को सुझाव दिया कि छात्र-छात्राओं को समय-समय पर वृद्धाश्रम का भ्रमण कराया जाये, जिससे उनमें संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित हो सके. उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेश की अवहेलना पर कैद व जुर्माना समेत कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वह समाज में होने वाली ऐसी घटनाओं पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर प्रशासन को सूचना दें. कार्यक्रम में स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष रमेश कुमार श्रीवास्तव, चीफ एलएडीसीएस प्रभात कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता रामप्रीत प्रसाद, प्रद्युम्न सिंह आदि ने भी विचार रखे. सचिव मरियम हेमरोम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

माता-पिता की उपेक्षा चिंता का विषय : डीसी

उपायुक्त कंचन सिंह ने कहा कि बदलते सामाजिक ढांचे में माता-पिता की उपेक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन गयी है. कई बुजुर्ग शारीरिक व आर्थिक परेशानियों से गुजर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संतानें सफल होने के बाद अक्सर अपने माता-पिता को उचित समय और देखभाल नहीं दे पातीं हैं. जबकि बुजुर्ग इस उम्र में सबसे अधिक सहारे की जरूरत महसूस करते हैं. डीसी ने बताया कि सरकार ने 2007 में ऐसा कानून बनाया है, जिसके तहत माता-पिता की उपेक्षा, परित्याग और प्रताड़ना को दंडनीय अपराध माना गया है. बच्चों पर कानूनी रूप से भरण-पोषण की जिम्मेदारी तय की गयी है.

अधिनियम के प्रावधानों की दी गयी जानकारी

कार्यक्रम के दौरान अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी विस्तार से दी गयी. बताया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण का कानूनी अधिकार है. संतान द्वारा उपेक्षा, दुर्व्यवहार या परित्याग करने पर तीन माह तक की कैद पांच हजार तक जुर्माना हो सकता है. भरण-पोषण ट्रिब्यूनल अधिकतम 10 हजार रुपये मासिक भत्ता निर्धारित कर सकता है. प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम संचालित करने का प्रावधान है. अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता, रियायती उपचार और अलग काउंटर की सुविधा देनी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel