कुरडेग. केरसई प्रखंड के गोबरलेछा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. विद्यालय की छत से लगातार प्लास्टर गिरने और बारिश के मौसम में कमरों में पानी टपकने से बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा था. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रखंड प्रशासन और शिक्षा विभाग के संयुक्त निर्णय से विद्यालय का संचालन गांव के संस्कृति कला केंद्र (धूमकुड़िया) भवन में किया जा रहा है. प्रधान शिक्षक अक्षय शर्मा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से बारिश के मौसम में छत से पानी टपकने के कारण बच्चों को पढ़ाई में परेशानी होती थी. कई बार छत पर प्लास्टिक भी लगाया गया, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सका. इस संबंध में विभागीय अधिकारियों व बीडीओ को लिखित सूचना दी गयी थी. तत्काल मरम्मत संभव नहीं होने की बात कह कर प्रशासन ने विद्यालय को अस्थायी रूप से धूमकुड़िया भवन में संचालित करने का निर्देश दिया. हालांकि, धूमकुड़िया भवन में भी बच्चों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही है. कमरों की कमी के कारण एक बड़े हॉल को तिरपाल लगा कर दो हिस्सों में बांट कर कक्षाएं चलायी जा रही हैं. विद्यालय में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे अध्ययनरत हैं, जिन्हें सीमित संसाधनों में पढ़ाई करनी पड़ रही है. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि जर्जर विद्यालय भवन की मरम्मत के लिए प्रस्ताव जिले को भेजा जा चुका है. विभाग से फंड उपलब्ध होते मरम्मत कार्य शुरू कराया जायेगा. इधर ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के पास फंड की कमी के कारण बच्चों को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है. सवाल यह उठता है कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा की इस बदहाल स्थिति का जिम्मेदार कौन है. एक ओर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था बदहाली के दौर से गुजर रही है, जिसे देखने वाला कोई नजर नहीं आ रहा.
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