सिमडेगा. सामटोली स्थित विकास केंद्र में आदिवासी छात्र संघ केंद्रीय समिति की बैठक हुई. बैठक में आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों, शिक्षा में भेदभाव, बेरोजगारी, विस्थापन, सांस्कृतिक अस्मिता पर खतरा और सीएनटी-एसपीटी कानून के उल्लंघन जैसे मुद्दों पर चर्चा की गयी. बैठक में कहा गया कि झारखंड में आदिवासियों के कई कानून नियमावली अब तक अधूरे हैं, जिससे अधिकार छीने जा रहे हैं. बैठक में निर्णय लिया गया कि 11 अप्रैल 2026 को रांची में परिषद भवन से सचिवालय तक विशाल अधिकार रैली निकाली जायेगी. कहा गया कि झारखंड ही नहीं पड़ोसी राज्यों से भी आदिवासी छात्र-युवा हजारों की संख्या में जुटेंगे. कहा गया कि अगर हमारी आवाज दबाई गयी, तो दिल्ली तक युवा शक्ति का गर्जन गूंजेगा. बैठक में उपस्थित आदिवासी छात्र संघ के प्रवक्ता सह संयोजक डॉ सुशील कुमार मिंज ने कहा कि हम आदिवासी देश के बोझ नहीं, देश की रीढ़ हैं. विकास तभी स्वीकार्य जब उसमें हमारे अधिकार सुरक्षित हों. हमारी संस्कृति प्रकृति की रक्षक है और इसे कमजोर दिखाने की मानसिकता अब समाप्त करनी होगी. आलोक बागे ने कहा कि वनाधिकार कानून जमीन पर लागू नहीं किया गया है. पेसा कानून कागजों में कैद है. रोजगार में स्थानीय युवाओं को हक नहीं मिल रहा है. अब यह लड़ाई संसद से सड़क तक साथ-साथ चलेगी. प्रदीप टोप्पो ने कहा कि जंगल, जल व जमीन से ही हमारी पहचान है. हमें बेघर व बेरोजगार करने वाली नीतियों के विरुद्ध अब कार्रवाई होगी. अनमोल तिर्की ने कहा कि अस्तित्व व स्वाभिमान की रक्षा के लिए युवा अब निर्णायक भूमिका में हैं. कहा कि जमीन लूट के प्रयास को बंद नहीं किया गया, तो यह संघर्ष और व्यापक होगा. बैठक में सुरेश टोप्पो, सतीश भगत, बेलबस कुजूर, नील जस्टिन बेक, अगुस्टीना सोरेंग, जॉनसन खालखो, आनंद सोरेंग, एलेक्स जॉनसन केरकेट्टा, पंकज टोप्पो, अनुपम कुजूर, अजय सुरीन, हेमंत बाड़ा, फिलिक्स मिंज, अंजनी कुमारी, रीमा तिर्की, सरिता लकड़ा, नीतू समद, पंकज टोप्पो, दीपक लकड़ा, सुनील मिंज, शिशिर टोप्पो, गिलबर्ट टेटे उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

