सिमडेगा. जैन सभा भवन में पर्यूषण महापर्व के उपलक्ष्य में आयोजित प्रवचन सभा में वाणी-भूषण आचार्य डॉ पद्मराज स्वामी जी महाराज ने कहा कि हम बहुत सारी बातों के लिए भगवान पर आश्रित रहते हैं. अपने सुख-दुख के लिए भी हम भगवान को जिम्मेदार ठहराते हैं. किंतु आपको चाहिए कि हमेशा भगवान पर आश्रित मत रहिए. अपितु अपने अंदर के भगवान को भी जगाने का प्रयास करें. कहा कि जो अपने अंदर के परमात्मा को जागृत कर लिया, वे स्वयं भगवान बन गये और जो ऐसा नहीं कर सके, वे आज भी भगवान के लिए तरसते रहते हैं. वस्तुत: ईश्वर उन्हीं के लिए लाभदायक होता है, जो अपने अंदर के ईश्वर को जगाने का उपक्रम करते हैं. यही भक्ति की पराकाष्ठा भी है कि भगवान को ध्याते-ध्याते मैं स्वयं भगवान बन जाऊं. संसार का प्रत्येक जीव सचिदानंद मय है. बस जरूरत है, उसे सचमुच में महसूस करने की. अंतगढ़ सूत्र में वर्णित साधक साधिकाओं ने ऐसा ही किया था. उन सबने भगवान का सहारा लेकर अध्यात्म में कदम बढ़ाये और कुछ समय के बाद स्वयं अपनी प्रगति करने लगे. उसी प्रगति का उदाहरण है उन सबका अंत कृत केवली बन कर मुक्ति लाभ प्राप्त करना. आचार्य जी ने आगे कहा कि हमारा ध्यान हमेशा अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. आप अपने जीवन का उद्देश्य पहचानें और उसकी प्राप्ति में जी जान से जुट जायें. ऐसा होने पर सुख-दुख की अनुभूतियां हमें मार्ग से विचलित नहीं कर पायेंगी. महापर्व के उपलक्ष्य में सुबह 7.30 बजे से नवकार महामंत्र का अखंडपाठ, शास्त्र वाचना, स्वाध्याय आदि गतिविधियों में अनेक श्रद्धालु भाग लेकर धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं. अखंडपाठ व प्रसाद वितरण का लाभ ओमप्रकाश सुशील जैन परिवार को प्राप्त हुआ. जैन सभा की तरफ से सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया. सभा में सचित अचित प्रतियोगिता हुई, जिसमें प्रवीण जैन ने प्रथम, सारिका जैन व गुलाब जैन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया. कार्यक्रम की सफलता में प्रधान प्रवीण जैन, सचिव विमल जैन, उपप्रधान मनोज जैन, खजांची गुलाब जैन, कृष्ण जैन, सुशील जैन, योगेंद्र रोहिल्ला, उषारानी जैन, रेखा जैन, सारिका जैन, सुनीता जैन, शकुंतला जैन, टिल्लू शर्मा आदि का सराहनीय योगदान रहा.
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