चांडिल/चौका. चांडिल प्रखंड के डिमुडीह, केसरगाड़िया एवं बोराबिंदा के ग्रामीणों ने विस्थापित ग्राम सभा सशक्तिकरण मंच के बैनर तले रविवार को चांडिल डैम में प्रस्तावित आइलैंड इके कॉटेज का विरोध किया. ग्रामीण रामसिंह मुर्मू ने बताया कि किसी भी हाल में डिमुडीह, केसरगाड़िया एवं बोराबिंदा क्षेत्र को पर्यटक स्थल बनने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि जब चांडिल डैम बना उस समय रोजगार देने का वादा किया था. अभी तक विस्थापितों को रोजगार नहीं मिला है. विकास के नाम पर सिर्फ लूट हो रही है. दलाल लोग विस्थापितों को ही शोषण कर रहे हैं. आज विस्थापित मत्स्यजीवी सहकारी स्वावलंबी समिति के लोग 500-600 आदमी के सदस्य के नाम पर 5-6 लोग ही समिति चला रहे हैं. उसमें जो भी सदस्य हक और अधिकार की मांग करते हैं उसे हटा दिया जा रहा है. खाली विभागीय पदाधिकारी से मिलकर बंदरबांट की जा रही है. आज चांडिल डैम का पूर्ण विकास होता और यहां के विस्थापितों की चिंता रहती तो आज विस्थापित परिवार के लोग पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि जगह नहीं जाना पड़ता. सिर्फ यहां पर विकास के नाम पर विस्थापितों को दिग्भ्रमित करने की काम किया जाता है. विकास के नाम पर विस्थापितों को ठगने का काम किया जाता है. अब यह नहीं होने देंगे. विस्थापितों को दूसरी बार विस्थापित नहीं होने देंगे. ग्रामीण मकरा सोरेन ने बताया कि 16 फरवरी को राज्य के पर्यटक मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, विधायक सविता महतो एवं विभाग के पदाधिकारी व प्रतिनिधि आये थे. पर्यटक स्थल का निरीक्षण किया था. इसका ग्रामीणों को पता तक नहीं था. इसमें बताया गया था कि केशरगाड़िया में जो टापू है उसमें आइलैंड कॉटेज बनेगा. इसका किसी भी ग्रामीणों को पता नहीं है. वहां पर आदिवासियों का जाहरेथान है. यहां आदिवासी समाज पूजा पाठ करते आ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि किसी भी हाल में यहां पर पर्यटक स्थल बनने नहीं देंगे.
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