डुमरिया.
डुमरिया प्रखंड के सुदूर गांवों में पोल्ट्री फार्म की संख्या बढ़ रही है. प्रखंड में शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार का साधन नहीं है. यहां कंपनियां या फैक्ट्री नहीं है. कृषि एकमात्र साधन है. सिंचाई के अभाव में साल में एक बार खेती होती है. यहां के अधिकतर युवा रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री फार्म रोजगार का बेहतर विकल्प दिख रहा है. डुमरिया प्रखंड के नरसिंहबहाल गांव में 35 वर्षीय राज किशोर महतो पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय कर अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं. राज किशोर महतो के फार्म में तीन हजार चूजें हैं. ये चूजें 40 दिन में बड़े हो जाते हैं. इनको पोल्ट्री का चूजा एक एजेंसी मुफ्त में मुहैया कराती है. वह दाना व दवा भी देती है. शर्त रहता है कि जब चूजा 40 दिन के हो जायेंगे, तो वजन कर एजेंसी की ही बेचना है. एजेंसी प्रति किलो कमीशन के रूप में देती है.शेड बनाने में तीन लाख खर्च हुए
बताया कि एक शेड बनाने में तीन लाख तक खर्च होते हैं. विभाग कोई सहयोग नहीं देता है. राज किशोर ने बताया की पोल्ट्री फार्म के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है. सारी जानकारियां एजेंसी वाले देते हैं. इसमें साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना पड़ता है. मेहनत व समय देना जरूरी है. गर्मी के दिनों में चूजे मरने लगते हैं. उस समय थोडी परेशानी होती है. हमारा गांव काफी सुदूर में है. सड़क जर्जर होने के कारण थोड़ी परेशानी होती है. इस फार्म को सुचारु रूप से चलाने के लिए राज किशोर का बड़ा भाई अजीत कुमार महतो हमेशा सहयोग करते हैं. डुमरिया प्रखंड में इस तरह के कई बड़े-बड़े पाल्ट्री फार्म संचालित हो रहे हैं. इन युवाओं को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

