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Seraikela Kharsawan News : धर्मांतरण के बाद आदिवासी आरक्षण का लाभ लेना गलत : चंपाई सोरेन

डीलिस्टिंग कानून की उठी मांग सरना परंपरा में लौटने वालों का स्वागत

राजनगर. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मंगलवार को राजनगर में प्रेसवार्ता कर आदिवासी पहचान, संस्कृति और आरक्षण अधिकारों को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जनजातियों को मिला एसटी दर्जा उनकी पारंपरिक, प्रकृति-आधारित और रुढ़ीवादी जीवन-पद्धति के आधार पर दिया गया है. ऐसे में धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्तियों को पूर्ववत आरक्षण का लाभ मिलता रहना उचित नहीं है. चंपाई सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान सरना स्थल, पूजा-परम्परा, मानकी-मुंडा व्यवस्था, पहाड़ा राजा प्रणाली, सामूहिक उत्सव और प्रकृति के प्रति आस्था है. जब कोई व्यक्ति इन परम्पराओं को त्यागकर ऐसे धर्म में चला जाता है, जहां ये परम्पराएं नहीं हैं, तब उसकी सामाजिक पहचान भी बदल जाती है. इसलिए ऐसे लोगों को आरक्षण लाभ देना संविधान की भावना के विपरीत है.

डीलिस्टिंग कानून की मांग:

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म परिवर्तन व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन धर्म बदलने के बाद भी आरक्षण लाभ उठाना गलत है. इसके लिए डीलिस्टिंग कानून बनना चाहिए, ताकि परम्परा छोड़ चुके लोगों को एसटी आरक्षण का लाभ न मिल सके. उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में लोभ-लालच देकर धर्मांतरण कराए जा रहे हैं, जो समाज के लिए हानिकारक है. चंपाई सोरेन ने कहा कि कई परिवार हाल के दिनों में पुनः सरना परम्परा में लौटे हैं.

सरकार पर साधा निशाना:

वर्तमान सरकार की कार्यशैली की आलोचना करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि एक वर्ष के कार्यकाल में सरकार नयी योजनाएं शुरू नहीं कर सकी है. छात्रवृत्ति, वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाएं प्रभावित हैं और कई लाभुक भुगतान को लेकर भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के लिए बजट की कमी है और कई पुरानी योजनाओं के टेंडर रद्द करने की तैयारी चल रही है. चंपाई ने दावा किया कि राजनगर का डिग्री कॉलेज उनके कार्यकाल की देन है, जबकि वर्तमान सरकार अब तक एक भी नयी योजना धरातल पर नहीं ला पायी है.

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