सरायकेला-खरसावां.
जिले की पहचान छऊ नृत्य आज विदेशों में धूम मचा रहा है. इस उपलब्धि में छऊ कलाकारों की अहम भूमिका है. नृत्यांगना गीतांजलि हेंब्रम विदेशों में छऊ करने वाली पहली महिला आदिवासी कलाकार है. गीतांजलि हेंब्रम मूल रूप से सरायकेला निवासी है. वह वर्ष 2018 में पद्मश्री पं गोपाल दुबे के साथ यूरोप के कई शहरों में छऊ नृत्य कर चुकी हैं. गीतांजलि ने 10 वर्ष की उम्र में सरायकेला के राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में गुरु तपन पटनायक व गुरु विजय साहू से छऊ का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. गीतांजलि सरायकेला, ओडिशा, बेंगलुरु, हरियाणा, एमपी, आंध्रप्रदेश, दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में बड़े मंचों पर छऊ नृत्य कर चुकी हैं. शादी के बाद गीतांजलि बेंगलुरु में बस गयी, लेकिन छऊ को नहीं छोड़ा. वहां पद्मश्री पं गोपाल दुबे से छऊ की विधाओं की जानकारी ली. दो बच्चों की मां गीतांजलि फिलहाल जमशेदपुर में रहकर छऊ नृत्य करती हैं. दूसरों को सिखाती हैं. गीतांजलि छऊ नृत्य में पुरुष व महिला दोनों का किरदार निभाती हैं. देवदाशी गीतांजलि का पसंदीदा नृत्य है. वह राधा-कृष्ण, वर्षा-झमझम, नाविक, रात्रि आदि नृत्य कर चुकी हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

