सरायकेला.सामुदायिक भवन सरायकेला में समावेशी शिक्षा के तहत मंगलवार को जिला स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित हुई. कार्यशाला में मुख्य रूप से अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुनीला लकड़ा, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी दिनेश कुमार दंडपात, समावेशी शिक्षा के जिला प्रभारी मनोज कुमार सहित प्रखंड की सभी आंगनबाड़ी की सेविकाएं व दिव्यांग बच्चों के अभिभावक शामिल हुए.एडीपीओ सुनिला ने कहा कि दिव्यांग बच्चे समाज के अभिन्न अंग हैं. समता मूलक समाज के निर्माण के लिए सबकी भागीदारी आवश्यक होती है. दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ना हम सबकी जिम्मेवारी है. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत 21 प्रकार के दिव्यांगता की श्रेणी के बारे में बताया गया है. सभी को पहचान कर विद्यालय में नामांकित कराना अनिवार्य है. नयी शिक्षा नीति के तहत कोई भी बच्चा बिना नामांकन के नहीं रहना चाहिए. बच्चे को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने में आंगनबाड़ी सेविकाओं की अहम भूमिका होती है.
दिव्यांग बच्चों के पहचान करने में सेविकाओं की भूमिका अहम : बीइइओ
बीइइओ ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के पहचान व शीघ्र हस्तक्षेप करने में आंगनबाड़ी सेवाकाओं की भूमिका अति महत्वपूर्ण है. बच्चों के साथ-साथ माता को स्वस्थ रखने की जानकारी आंगनबाड़ी सेविका से ही प्राप्त होती है.सभी बच्चों को समान अवसर देने की जरूरत : मनोज
समावेशी शिक्षा के जिला प्रभारी मनोज कुमार ने कहा कि सभी बच्चों को समान अवसर देने की जरूरत है. समय अवधि पूर्ण होते ही नजदीकी विद्यालय में नामांकन करने में आंगनबाड़ी सेविका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. दिव्यांग बच्चों को सहानुभूति नहीं, सहयोग की आवश्यकता है. सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने की आवश्यकता होती है. मौके पर शिक्षक प्रसनजीत नाथ, रिसोर्स शिक्षिका सीमा कुमारी, जयदेव त्रिपाठी, राहुल घोष आदि मौजूद रहे.
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