खरसावां.
कुचाई के दुखियाडीह में आयोजित बैठक में वनोपजों के प्रसंस्करण और विपणन पर चर्चा हुई, जिसमें सामुदायिक वन पालन संस्थान के केंद्रीय सदस्य सोहन लाल कुम्हार और भरत सिंह मुंडा ने गांव की महिलाओं को वनोपजों को संसाधित कर बेहतर बाजार उपलब्ध कराने एवं अधिक आय प्राप्त करने के तरीकों पर मार्गदर्शन दिया. उन्होंने बताया कि जंगलों में भरपूर मात्रा में उपलब्ध हर्रा (हरतकी) को संग्रहित करके सुखाने, छिलका अलग करने जैसे प्रक्रियाओं से गुणवत्ता बढ़ायी जा सकती है, जिससे इसे उच्च मूल्य पर बेचकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है.स्वत: बहेड़ा (लुपुंग) को भी बेकार समझा जाता है, लेकिन उसे भी इकट्ठा कर धूप में सुखाकर गुणवत्ता सुधारने पर बाजार में विक्रय कर संतोषजनक आय प्राप्त की जा सकती है. इन दोनों वनोपजों के लिए उचित बाजार व्यवस्था की गयी है और केवल सही मूल्य देने वाले स्थलों पर ही विक्रय करने की सलाह दी गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

