Champai Soren, सरायकेला (शचिंद्र दाश, राजनगर): झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कांग्रेस पर आदिवासी आंदोलनों को दबाने और उन्हें सम्मान न देने का आरोप लगाया है. ये बातें उन्होंने रविवार को सरायकेला के राजनगर में प्रेस वार्ता में कही है. उन्होंने कहा कि झारखंड गठन के 25 साल बाद भी आदिवासी समाज को उनका हक और सम्मान पूरी तरह नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने हमेशा संघर्ष किया, लेकिन इतिहास में उनके योगदान को उतना स्थान नहीं दिया गया.
आदिवासियों की वीर गाथा से भरा पड़ा है इतिहास पर पहचान अधूरी
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 1770 में बाबा तिलका मांझी के विद्रोह से लेकर चुआड़ विद्रोह, वीर पोटो हो, सिदो-कान्हू, भगवान बिरसा मुंडा, टाना भगत और वीर तेलंगा खड़िया जैसे अनगिनत योद्धाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया. लेकिन कांग्रेस सरकार ने उनके योगदान को दबाने का काम किया.
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कांग्रेस ने आंदोलन दबाया, भाजपा ने दिया सम्मान: चंपाई सोरेन
चंपाई सोरेन ने दावा किया कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के समय कांग्रेस की सरकार आंदोलनों को कुचलने में लगी थी. इस दौरान कई गोलीकांड हुए और लोग शहीद हो गये. लेकिन केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी, तब आदिवासी आंदोलन और भावनाओं को सम्मान मिला. इसके बाद झारखंड राज्य का गठन हुआ. उन्होंने कहा कि अटल जी ने राज्य गठन की तारीख 15 नवंबर इसलिए चुनी, क्योंकि यह भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है.
मोदी सरकार ने दिया राष्ट्रीय सम्मान
चंपाई सोरेन ने कहा कि वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने आदिवासी सम्मान को और बढ़ाया है. उन्होंने संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया. देश में पहली बार आदिवासी राष्ट्रपति का चुनाव किया. साथ ही 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया गया.
जनजातीय मंत्रालय का बजट तीन गुणा बढ़ा
चंपाई सोरेन ने आगे कहा कि आज जनजातीय मंत्रालय का बजट तीन गुना बढ़ा दिया गया है. एकलव्य विद्यालय 123 से बढ़कर 715 हो गये. साथ ही पीएम जनमन योजना (जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान) के लिए बजट 24,100 करोड़ से बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ किया गया. यह योजना आदिम जनजातियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सड़क और रोजगार जैसी सुविधाएं देने पर केंद्रित है.
15 नवंबर को सभी जिलों में कार्यक्रम
चंपाई सोरेन ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस पर झारखंड के सभी जिलों में कार्यक्रम होंगे. अंत में उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी अगली पीढ़ी को अपनी भाषा, संस्कृति और महानायकों पर गर्व करना सिखाएं. यही महानायकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.”

