खरसावां.
खरसावां के बेहरासाही में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन सती चरित्र का वर्णन किया गया. श्रीधाम वृंदावन की कथावाचिका दीदी दिव्यांशी ने शिव चरित्र का सुन्दर वर्णन किया. उन्होंने मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और शिव प्रसंग की कथा सुनायी. श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ व राम चरित मानस ग्रंथ की आरती उतारी. कथावाचन करते हुए कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था. इसमें उसने भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था. भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जतायी, तो भगवान शंकर ने बिना बुलाये जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही. इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गयीं. पिता द्वारा भगवान शंकर के अपमान पर सती ने हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया. इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया. माता सती के अग्नि में प्रवेश करने के बाद तीनों लोको को भगवान शिव के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

