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पीठ में अंकुश लगा खींची दो बैलगाड़ी व सवारी गाड़ी
नीमडीह : प्रखंड अंतर्गत भांगाट गांव के प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में चड़क पूजा व भक्ताघोरा पर्व का आयोजन किया गया. इस अवसर पर दर्शक अलौकिक दृश्य से अवगत हुए और भगवान भोलेनाथ के प्रति नतमस्तक होकर सुख- शांति की प्रार्थना की. कांड्रा थाना के कांकी गांव के मनिपुर टोला निवासी भगवान शंकर व माता […]
नीमडीह : प्रखंड अंतर्गत भांगाट गांव के प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में चड़क पूजा व भक्ताघोरा पर्व का आयोजन किया गया. इस अवसर पर दर्शक अलौकिक दृश्य से अवगत हुए और भगवान भोलेनाथ के प्रति नतमस्तक होकर सुख- शांति की प्रार्थना की. कांड्रा थाना के कांकी गांव के मनिपुर टोला निवासी भगवान शंकर व माता काली के भक्त भूतनाथ सिंह ने पीठ के चमड़ा में छेद कर लोहे की अंकुश डाल कर व अंकुश में रस्सी बांधकर उस रस्सी से दो बैल गाड़ी व एक टाटा मैजिक सवारी गाड़ी को लगभग पौने एक किमी दूर से मंदिर तक खींचकर लाये.
इस अलौकिक दैविक शक्ति को देखने के लिए भांगाट, माकुला, केतुंगा, सामानपुर, घुटियाडीह, टेंगाडीह, नीमडीह, रघुनाथपुर आदि क्षेत्र से दर्शक पहुंचे हुए थे. इसके बाद प्राचीन परंपरा के अनुसार दर्जनों शिव भक्तों ने पीठ में अंकुश लगाकर करीब पचास पीठ लंबे लकड़ी के खंभे के ऊपर भक्ताघोरा रस्म को पुरा किया.
एक हजार वर्ष पूर्व से होती है भोलेनाथ की पूजा
भांगाट गांव निवासी सुधाकर सिंह ने बताया कि लगभग एक हजार साल पूर्व भूमिज जाति के वंशज बुट पड़सा के पूर्वज बहादुर सिंह द्वारा जंगल के बीच इस शिवलिंग का दर्शन किया गया था. उन्होंने कहा कि जनश्रुति के अनुसार बहादुर सिंह लकड़ी काटने जंगल गया था. कुल्हाड़ी का प्रथम प्रहार एक पत्थर पर पड़ा. जिससे दूध की धार निकलने लगी.
उन्होंने इस अलौकिक दृश्य की घटना गांव में जाकर ग्रामीणों को बतायी. ग्रामीणों ने जमींदार के साथ उस स्थान में जाकर देखा तो पत्थर के ऊपर से दूध की धार निरंतर बह रही थी. उसी दिन से शिवलिंग मानकर पूजा-अर्चना शुरू की गयी. प्रतिवर्ष बंगला बैशाख महीना में तीन दिवसीय पूजा का आयोजन किया जाता है.
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