साहिबगंज : साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड से दुमका जाने वाले पथ स्थित हरवाडीह निवासी 89 वर्षीय मानिकचंद हांसदा संताली के महान लेखक हैं. जो आज अकेलेपन का दंश झेल रहे है. कभी पूर्ण इमानदारी का प्रतीक रहे. श्री हांसदा द्वारा लिखी गयी दर्जनों कहानी, कविता, उपन्यास एवं प्रकाशक का बाटजोह रहे हैं,
मानिकचंद्र जिस बरहेट के हडवाडीह गांव से आते हैं उस बरहेट विधानसभा को स्व थॉमस हांसदा, हेमलाल मर्मू और अब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेतृत्व कर रहे हैं. लेकिन इस महान हस्ती की सुध लेने वाला कोई नहीं, इनके दो पुत्रों में एक बैंक में मैनेजर दूसरा इंजीनियर है. मानिकचंद अपनी पत्नी के साथ खपरैल के घर में रहते हैं. अपने मित्र फादर टोम व शिक्षक संतोष कुमार एवं सुरेंद्र नाथ तिवारी के साथ वार्ता करते हुये कहा कि बचपन से उन्हें पढ़ने लिखने का शोक था. लघु कहानी, कविता, जल जंगल जमीन व साहित्य व सभ्यता के प्रति उनका लगाव रहने के कारण दर्जनों पांडुलिपि यहां तक की रोमन लिपि में संताली में भी कविता लिखा है. युथ सोसाइटी दुमका संग्रहालय में उनकी कविता है. अर्थ अभाव में उनका उपन्यास व कविता छप नहीं पा रही है. उन्होंने कहा कि मैट्रिक की पढ़ाई संतजोन वक्स मुंडली तीनपहाड़ में इंटर गुहिया जोरी दुमका एवं ग्रेजुएशन संतजेवियर कॉलेज रांची से किये हैं. उन्होंने बड़े निराश भाव से कहा अब कोई प्रकाशक नहीं आयेगा. ये सारी पाडुलिपि मेरे साथ कब्रिस्तान जायेगी. आज हमारे समाज के शिक्षा का स्तर गिर गया है. श्री हांसदा बंगला, अंगरेजी, संताली, हिंदी में धारा प्रवाह बोलते हैं. उनके किये 90 के दशक में सेवानिवृत हो गये है. इनके भतीजे अमेरिका में इंजीनियर भी है लेकिन इतने स्वाभिमानी है कि किन्हीं बेटे या भतीजे के पास नहीं जाते हैं. अपनी पत्नी के साथ खपरैल घर में रह रहे हैं. सरकार से पुस्तक छपवाने का आश रखते हैं.