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राम व नंदन की हत्या कर प्रकाश से बन गया ”पीके”
मां की बेइज्जति का बदला लेने के लिए उठाया हथियार 25 वर्षों से अपराध जगत का बेताज बादशाह चलाने वाला मोस्ट वांटेड प्रकाश मंडल उर्फ पीके की गिरफ्तारी के बाद पीके ने उगले कई राज. इसी क्रम में उन्होंने अपराध की दुनिया में आने का कारण भी बताया, कहा वो मूलत: भागलपुर जिला के सबौर […]
मां की बेइज्जति का बदला लेने के लिए उठाया हथियार
25 वर्षों से अपराध जगत का बेताज बादशाह चलाने वाला मोस्ट वांटेड प्रकाश मंडल उर्फ पीके की गिरफ्तारी के बाद पीके ने उगले कई राज. इसी क्रम में उन्होंने अपराध की दुनिया में आने का कारण भी बताया, कहा वो मूलत: भागलपुर जिला के सबौर थाना क्षेत्र के मीराचक का रहने वाला है. वर्ष 1984-85 के दौरान गांव के ही राम नरेश मंडल ने मेरी मां के काफी बेइज्जती की था और इसे वो बरदाश्त नहीं कर पाया और प्लानिंग के तहत परिवार के कुछ लोग मिलकर राम नरेश मंडल की हत्या कर दी. इस मामले में वो जेल भी गया. जेल से छूटने के बाद से ही अपराध की दुनिया में धीरे धीरे समाते चले गये.
इमरान
राजमहल थाना क्षेत्र के नामी गिरानी अपराधी नंदन मंडल ने अपने साम्राज्य को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रकाश मंडल उर्फ पीके को सबौर से साहिबगंज स्थित मंगलहाट लाया. चूंकि उस समय मंगलहाट से गंगा के रास्ते बड़े पैमाने पर पत्थर बोल्ड बंगाल देश ले जाया जाता था और नंदन को गंगा घाट से सभी पत्थर व्यवसायी रंगदारी दिया करता था. लेकिन इसी रंगदारी के चलते नंदन का कई दुश्मन पैदा हो गया था. नंदन प्रकाश को अच्छी कमाई का रास्ता दिखा कर ले आया और धीरे-धीरे क्षेत्र में पीके से अपराध कराना शुरू कर दिया.
इसी बीच नंदन मंडल ने अपने ही ग्रुप के जीवन मंडल की हत्या करवा दिया. जीवन मंडल की हत्या के बाद ग्रुप में कुछ बिखराव आया, इस बिखराव का फायदा जीवन मंडल की पत्नी रेखा देवी ने अपने पति का बदला लेने के उद्देश्य से प्रकाश मंडल उर्फ पीके को अपने साथ बुला लिया फिर प्लानिंग के तहत पीके के हाथ रेखा देवी ने नंदन की हत्या करवा दिया और पीके नंदन मंडल की हत्या के बाद साहिबगंज जिला का बड़ा अपराधी बन गया और अापराधिक घटना को अंजाम देता था. प्रकाश मंडल अपराध की दुनिया में पहला कदम बिहार के भागलपुर जिला के सबौर थाना अंतर्गत मीराचक में रामनरेश मंडल की हत्या करके रखा. फिर झारखंड के साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल थाना क्षेत्र मंगलहाट में नामचीन अपराधी नंदन मंडल की हत्या कर चर्चा में आया.
प्रभाकर मंडल के मोबाइल ने पुलिस को पहुंचाया पीके तक
पिछले वर्ष पीके का दाहिना हाथ कहलाने वाला प्रभाकर मंडल की गिरफ्तार बंगाल से होनेके बाद से ही पीके की उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी. इसका खुलासा प्रकाश मंडल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेस में एसपी ने कहा. जबकि एसपी ने इस बात पर परदा डालने की कोशिश की उन्होंने बताया कि प्रभाकर की गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ के क्रम में कई वार्ता का खुलासा किये थे. साथ ही प्रभाकर मंडल से जब्त की गयी मोबाइल से कई मोबाईल नंबर मिले और उसी के सहारे प्रकाश तक पुलिस पहुंच गई.
पश्चिम बंगाल में प्रभाकर मंडल की गिरफ्तारी के बाद प्रकाश मंडल काफी डर गया था. अपराध का ब्रांड पीके बन कर अपराधिक कांडों का अंजाम देने में उसे परेशानी हो रही थी. उसने अपना नाम बदल कर राजकुमार मंडल रख लिया. नकली पहचान पत्र बनवाये.
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाये. इसके बाद उसने फिर पीके के नाम पर कांडों को अंजाम बैठे बैठे देने लगा. दिनाजपुर के इटही में राजकुमार मंडल बन कर लोगों के बीच झोला झाप डाक्टर बनकर प्रैक्टिस कर रहा था. प्रकाश के इस इस ढोंग से पुलिस वाकिफ हो चुकी थी. प्रभाकर के मोबाइल में जितने भी नंबर थे सबको पुलिस ने खंगालना शुरू किया. एक के बाद एक नंबर ट्रेस करने के बाद पुलिस को पता चला कि लोगों में खौफ बन कर रहने वाला पीके उर्फ प्रकाश मंडल और कोई नहीं यही राजकुमार मंडल है. फिर क्या था पुलिस ने टीम बनायी और जाकर इसे पकड़ लिया.
बम बनाने में माहिर है पीके
जिस नंदन मंडल की हत्या कर पीके उर्फ प्रकाश मंडल अपराध जगत का बादशाह बना उसी नंदन ने ही प्रकाश को सबौर से मंगलहाट लाया था. चूंकि प्रकाश अापराधिक दुनिया में कदम रखते ही बम बनाने का गुर सिख लिया और साहिबगंज जिला के दियारा क्षेत्रों में जब भी दो गुटों के बीच गोली बारी होती थी तब प्रकाश मंडल दौड़ते दौड़ते बम बना लेता था और दुश्मन को पराश्त कर देता है. यही कारण है कि प्रकाश मंडल हथियार से कम बमबारी कर हत्या किया है. जिसमें नंदन मंडल की हत्या पहले बमबारी किया उसके बाद उसे गोली मारी.
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