22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब नहीं सुनायी देती गौरैया की चहचहाहट

शहर में इक्का–दुक्का नजर आती है चिड़िया साहिबगंज : अब जिले के शहरी क्षेत्र से तो गौरैया लुप्त ही हो गये हैं. हां भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में इक्का–दुक्का गौरैया सुबह होने का एहसास चहक से दिला जाती है. हर दिन ब्रह्म मुहरूत में नियत समय पर आंगन में जब गौरैया चहकती थी, तो लोगों […]

शहर में इक्कादुक्का नजर आती है चिड़िया

साहिबगंज : अब जिले के शहरी क्षेत्र से तो गौरैया लुप्त ही हो गये हैं. हां भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में इक्कादुक्का गौरैया सुबह होने का एहसास चहक से दिला जाती है. हर दिन ब्रह्म मुहरूत में नियत समय पर आंगन में जब गौरैया चहकती थी, तो लोगों को भोर होने का एहसास हो जाता था और हर कोई जुट जाता था अपनीअपनी दिनचर्या में.

लेकिन धीरेधीरे मानव की आबादी बढ़ी और इनकी घटती गयी. पेड़ कटते गये और वहां अट्टालीकाएं बन गये. और इनके आशियाने उजड़ते गये. इनके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुए मोबाइल टावर.

इनके लगने तो तेजी से गौरैया की आबादी घटने लगी. झुंडके झुंड गौरैया मरने लगे. जीव वैज्ञानिक प्रो चंदन बोहरा ने बताया कि गौरैया के विलुप्त होने का कारण उसके वास स्थान का नहीं मिलना भी जिम्मेवार है. उसके रहने लायक वातावरण भी नहीं रह गया है. मोबाइल टावरों से निकलनेवाला विकिरण मनुष्यों के लिए तो नुकसानदेह होने के साथ ही पशुपक्षियों के जानलेवा साबित हो रहा है.

बरहेल पतौड़ा झील में भी इसी कारण से गौरैया समेत अन्य विदेशी पक्षियों का आना काफी कम हो गया है. मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण अन्य दुष्प्रभाव की मार सबसे ज्यादा पक्षियों को ही ङोलनी पड़ रही है. पतना प्रखंड के बिंदुधाम पहाड़ी हो या शिवगादी के वन प्रांतर से गौरैया जैसे गायब ही हो गयी है.

जीवन वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि पक्षियों की विलुप्त प्राय: हो रही प्रजातियों को बचाने की जरूरत है क्योंकि इसमें गौरैया सहित कई पक्षी वातावरण के विषैले जीवों को खाकर मानव की रक्षा भी करते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें