प्रभात परिचर्चा . नगर पंचायत के विस्थापित दुकानदारों ने कहा
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सात वर्ष बाद भी न दुकान मिली न जमा राशि
प्रभात परिचर्चा . नगर पंचायत के विस्थापित दुकानदारों ने कहा राजमहल : नगर पंचायत के विस्थापित दुकानदारों को सात वर्ष बीत जाने के बाद भी दुकान आवंटित नहीं होने के मुद्दे पर प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को प्रभात परिचर्चा का आयोजन दुकानदार अहमद हुसैन की अध्यक्षता में की गयी. परिचर्चा में शामिल होकर दुकानदारों […]
राजमहल : नगर पंचायत के विस्थापित दुकानदारों को सात वर्ष बीत जाने के बाद भी दुकान आवंटित नहीं होने के मुद्दे पर प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को प्रभात परिचर्चा का आयोजन दुकानदार अहमद हुसैन की अध्यक्षता में की गयी. परिचर्चा में शामिल होकर दुकानदारों ने अपना-अपना प्रतिक्रिया दिया. श्री हुसैन ने कहा की नगर पंचायत द्वारा विस्थापित दुकानदारों को दुकान आवंटित करने के लिए अस्पताल परिसर का चयन किया गया था.
चयनित स्थल पर 70 दुकानों के लिए पहले आओ, पहले पाओ नियमावली के तहत विस्थापित दुकानदारों को दुकान आवंटित करने का नियम बनाया गया था. जिस पर लाभुक दुकानदारों ने निर्धारित राशि को कार्यालय में जमा कर दिया था. उपरोक्त स्थल पर एक व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका दायर उच्च न्यायालय में किया गया था. इसमें न्यायालय ने दुकानदारों के राशि को वापस करने का निर्देश दिया था. नगर पंचायत प्रशासन, जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि के निष्क्रियता के कारण न तो दुकान आवंटित हुई न ही दुकानदारों को जमा कि गयी राशि वापस मिली. कुछ लोगों को आंशिक रूप से राशि दी गयी थी.
ऐसे में दुकानदार भुखमरी के कगार पर है. मौके पर शिवशंकर साहा, अमरेंद्र कुमार साहा, अरुण प्रमाणिक, जियाउल हक, दिवाकर शर्मा, रंजन कुमार साहा, अचिंतो हलदार, बैकुंठो हलदार, सलिम अंसारी सहित अन्य मौजूद थे.
दुकान आवंटित हो जाने से राजमहल शहर का चहुमुखी विकास होगा और विस्थापितों को रोजगार भी मिलेगा.
-शिवशंकर साहा
अन्य व्यवसाय का पूंजी को बाधित कर दुकान के लिए राशि जमा किये थे. वर्षों बीत जाने के बाद भी दुकान आवंटित नहीं हुआ है.
– अमरेंद्र कुमार साहा
प्रमाणिक
पहले आओ -पहले पाओ में दुकान लेने के लिए अपने जमीन को कम दर पर बेच कर राशि जमा किये थे. पर दुकान नहीं मिलने के कारण भुखमरी के कगार पर आ गये हैं.
-अरुण प्रमाणिक
वो घर के जेवरात को गिरवी रखकर मिले रुपये को नगर पंचायत में जमा किये थे. दुकान नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. -बैकुंठो हलदार
दुकानदारों को दुकान आवंटित नहीं होने से आर्थिक व व्यावसायिक क्षति पहुंची है. सरकार को इस पर पहल करने की आवश्यकता है.
-दिवाकर शर्मा
उच्च न्यायालय के आदेश पर भी सरकार द्वारा दुकानदारों के राशि को वापस नहीं करने से दुकानदारों को दोहरी क्षति पहुंची है.
-जियाउल
हक
7 वर्ष में दुकान आवंटित नहीं होने के कारण वो सड़क किनारे दुकान चलाते है. कई बार अतिक्रमण मुक्त अभियान का शिकार होना पड़ता है. -रंजन कुमार साहा
प्रशासन व जनप्रतिनिधि की उदासीनता के कारण दुकानदारों को दुकान आवंटित नहीं हुआ है. राशि जमा करने वाले दुकानदार समस्या से जुझ रहे हैं.
-सलीम अंसारी
सरकार हम दुकानदारों को दुकान आवंटित करें. अगर सरकार दुकान देने में सक्षम नहीं है तो सूद समेत जमा की गयी राशि को वापस करें.
अहमद हुसैन
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