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रांची के योगदा सत्संग आश्रम में भक्ति-भाव से मनी लाहिड़ी महाशय की 197वीं जयंती

Yogada Satsang Ashram News: योगी कथामृत (श्री श्री परमहंस योगानंद द्वारा लिखित) पुस्तक से लाहिड़ी महाशय के वचनों का पाठ किया. उन्होंने कहा, ‘यह याद रखो कि तुम किसी के नहीं हो और कोई तुम्हारा नहीं है. इस पर विचार करो कि किसी दिन तुम्हें इस संसार का सब कुछ छोड़कर चल देना होगा, इसलिए अभी से ही भगवान को जान लो.’

Yogada Satsang Ashram News: मंगलवार 30 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची के योगदा सत्संग शाखा आश्रम में लाहिड़ी महाशय की 197वीं जयंती मनायी गयी. श्रद्धा और आनंद के साथ मनायी गयी जयंती का शुभारंभ स्वामी शंकरानंद गिरि द्वारा संचालित ऑनलाइन ध्यान से हुआ. इसमें भारत और विश्व भर के भक्तगण सुबह 6:30 बजे से सुबह 8:00 बजे तक सम्मिलित हुए.

स्वामी शंकरानंद गिरि ने किया ध्यान का संचालन

ध्यान का संचालन करते हुए स्वामी शंकरानंद गिरि ने कहा कि लाहिड़ी महाशय का जीवन आधुनिक युग में प्रसन्न रहने के लिए सर्वोत्तम उदाहरण है. क्रियायोग ध्यान का दैनिक अभ्यास है, जो कर्मयोग के साथ संयोजित किया गया है. यह परिवार और समाज के कल्याण के लिए सेवा का काम है.

भक्तों ने 2 घंटे तक लिया भजनों का आनंद

इसके बाद भक्तों ने ब्रह्मचारी गौतमानंद और ब्रह्मचारी आराध्यानंद के भजनों का आनंद सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक लिया. भजन के दौरान रांची का योगदा सत्संग आश्रम भक्तिमय उत्साह से भर गया. भक्तजनों ने शाम 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक ब्रह्मचारी हृदयानंद के 2 घंटे के विशेष ध्यान में सम्मिलित हुए.

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लाहिड़ी महाशय ने कहा था- तुम किसी के नहीं हो, कोई तुम्हारा नहीं

योगी कथामृत (श्री श्री परमहंस योगानंद द्वारा लिखित) पुस्तक से लाहिड़ी महाशय के वचनों का पाठ किया. उन्होंने कहा, ‘यह याद रखो कि तुम किसी के नहीं हो और कोई तुम्हारा नहीं है. इस पर विचार करो कि किसी दिन तुम्हें इस संसार का सब कुछ छोड़कर चल देना होगा, इसलिए अभी से ही भगवान को जान लो.’

Yogada Satsang Ashram Celebrated 197Th Birth Anniversary Of Lahiri Mahasaya
लाहिड़ी महाशय की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल आश्रम के श्रद्धालु.

महान गुरु ने अपने शिष्यों को क्या ज्ञान दिया था?

उन्होंने कहा, ‘महान गुरु ने अपने शिष्यों से कहा, ईश्वर की अनुभूति के गुब्बारे में प्रतिदिन उड़कर मृत्यु की भावी सूक्ष्म यात्रा के लिए अपने को तैयार करो. माया के प्रभाव में तुम अपने हाड़-मांस की गठरी को अपना सब कुछ मान रहे हो, जो दुःखों का घर मात्र है. अनवरत ध्यान करो, ताकि तुम जल्दी से जल्दी अपने को सर्व दुःख-क्लेश से मुक्त अनंत परमतत्व के रूप में पहचान सको. क्रियायोग की गुप्त कुंजी के उपयोग से देह-कारागार से मुक्त होकर परमतत्व में विलीन होना सीखो.’

Yogada Satsang Ashram News: लाहिड़ी महाशय किनके शिष्य थे?

योगदा सत्संग परंपरा के परमगुरुओं में से एक योगावतार लाहिड़ी महाशय, महावतार बाबाजी महान हिमालयी अमर योगी के शिष्य थे. महावतार बाबाजी ने लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की प्राचीन, लगभग लुप्त विज्ञान के बारे में बताया और उन्हें सभी सच्चे साधकों को दीक्षा देने का निर्देश दिया.

लाहिड़ी महाशय के जीवन की विशेषता क्या थी?

लाहिड़ी महाशय के जीवन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि उन्होंने हर धर्म के आध्यात्मिक साधकों को क्रिया दीक्षा प्रदान की. वे एक गृहस्थ-योगी थे, जो अपने सभी पारिवारिक दायित्वों और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करने के बाद भी भक्ति और ध्यान का संतुलित जीवन जीते थे.

Yogada Satsang Ashram Celebrated 197Th Birth Anniversary Of Lahiri Mahasaya In Ranchi
लाहिड़ी महाशय की 19वीं जयंती पर बही भजन की गंगा.

ब्राह्मण कुल के होने के बावजूद जातिगत कट्टरता के खिलाफ आवाज बुलंद की

यह सांसारिक जीवन व्यतीत करने वाले हजारों पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गया. उन्होंने समाज के बहिष्कृत लोगों और दलितों को नयी आशा दी. यद्यपि वे स्वयं सर्वोच्च या ब्राह्मण जाति से थे, उन्होंने अपने समय की कठोर जातिगत कट्टरता को समाप्त करने के साहसी प्रयास किये.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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