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World Blood Donor Day Jharkhand 2021 : झारखंड में 59 ब्लड बैंक, हर साल पड़ती है 3.15 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत, लेकिन नहीं हो पाता कभी पूरा

विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता के अलावा मॉडल ब्लड बैंक की कमी के कारण भी लक्ष्य से कम रक्त का संग्रह हो पाता है. अभी झारखंड में सिर्फ रिम्स में मॉडल ब्लड बैंक है. हालांकि जितनी सुविधाएं व फैकल्टी ब्लड बैंक में होनी चाहिए वह नहीं है. ब्लड बैंकों के ऑनलाइन नहीं होने से लोगों को खून की उपलब्धता की जानकारी नहीं हो पाती है.

World Blood Donation Day 2021 in jharkhand रांची : झारखंड के 24 जिलों में 59 ब्लड बैंक हैं. इसमें 31 नाको सपोर्टेड व 28 निजी ब्लड बैंक हैं. राज्य में आबादी के हिसाब से हर साल करीब 3.15 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत होती है. हालांकि रक्तदान कम करने के कारण लक्ष्य से काफी कम मात्रा में रक्त संग्रह हो पाता है. जागरूकता की कमी के कारण लोग रक्तदान करने से कतराते हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी के कारण भी राज्य में रक्तदान करनेवालों की संख्या में कमी आयी है. राज्य में वर्ष 2020-21 में सिर्फ 2.15 लाख यूनिट ही रक्तदान हुआ, जो लक्ष्य से एक लाख यूनिट कम है. नये वित्तीय वर्ष 2021-22 के अप्रैल व मई में अब तक 14,490 यूनिट रक्तदान हुआ है.

विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता के अलावा मॉडल ब्लड बैंक की कमी के कारण भी लक्ष्य से कम रक्त का संग्रह हो पाता है. अभी झारखंड में सिर्फ रिम्स में मॉडल ब्लड बैंक है. हालांकि जितनी सुविधाएं व फैकल्टी ब्लड बैंक में होनी चाहिए वह नहीं है. ब्लड बैंकों के ऑनलाइन नहीं होने से लोगों को खून की उपलब्धता की जानकारी नहीं हो पाती है.

ब्लड बैंक ऑनलाइन स्टॉक को अपडेट नहीं करते हैं. इससे लोगों को परेशानी होती है. वहीं रिम्स अपने भर्ती मरीजों को भी खून की डिमांड को पूरा नहीं कर पाता है. रिम्स ब्लड बैंक लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करने में ही लगा रहता है. हर साल के लिए लाइसेंस रिम्स को लाइसेंस मिलता है. हाल ही में रिम्स को वर्ष 2020 का लाइसेंस मिला था, लेकिन तब तक वर्ष 2021 का लाइसेंस लेने का समय आ गया.

दलालों से खरीदे गये खून से जान जाने का खतरा

खून की मांग व उसके हिसाब से उपलब्धता नहीं होने के कारण खून के खरीद-फरोख्त का कारोबार हमेशा चलता रहता है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ग्रामीण क्षेत्र से आये गरीब लोग अक्सर दलाल के चक्कर में पड़ जाते हैं. एक यूनिट खून के लिए दलाल चार से पांच हजार रुपये ठग लेते हैं. रिम्स में एक साल में करीब आधा दर्जन ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं. खरीदे गये खून के कारण मरीज की जान जाने का भी खतरा रहता है.

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हमेशा संकट

राज्य में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हमेशा खून के संकट से जूझना पड़ता है. राज्य में करीब 4000 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे हैं, जिनको हर माह ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है. बच्चों के खून की समस्या के निदान के लिए रक्तदान की जरूरत पड़ती है, जिसे मुश्किल से पूरा किया जाता है.

विश्व रक्तदान दिवस पर विशेष

कुल 59 ब्लड बैंक

28 निजी ब्लड बैंक

31 नाको सपोर्डेट

कोरोना के कारण राज्य में

वर्ष 2020-21 में 2.15 लाख यूनिट रक्त का संग्रह

वित्तीय वर्ष 2021-22 अप्रैल व मई में अब तक

14,490 यूनिट रक्तदान हुआ

रिम्स को मॉडल ब्लड बैंक माना जाता है

लेकिन उस हिसाब से सुविधाएं व फैकल्टी नहीं

लोगों में नहीं है जागरूकता, रक्तदान करने के बजाय मुफ्त में खून लेना चाहते हैं

रांची में हर रोज 350 से 400 यूनिट खून की आवश्यकता

राजधानी में करीब 250 अस्पताल, नर्सिंग होम व क्लिनिक हैं, जहां हर रोज खून की आवश्यकता पड़ती है. यानी इसके हिसाब से राजधानी में प्रतिदिन 350 से 400 यूनिट खून की आवश्यकता होती है, लेकिन जरूरत के हिसाब से खून की पूर्ति नहीं हो पाती है. राजधानी के 13 से 14 ब्लड बैंक इसकी पूर्ति नहीं कर पाते हैं. जानकारों का कहना है कि अगर प्रत्येक अस्पताल जागरूकता अभियान चलाकर प्रतिदिन दो यूनिट भी रक्त संग्रहित कर ले, तो खून की समस्या को खत्म किया जा सकता है.

रिम्स स्थित ब्लड बैंक को मॉडल माना जाता है, लेकिन प्रतिदिन इसकी बेहतरी जरूरी है. बेहतरी के लिए रिम्स में डिपार्टमेंट आॅफ ट्रांसफ्जून मेडिसिन की जरूरत है. वहीं रक्तदान के लिए जागरूकता जरूरी है, ताकि मुफ्त में खून लेने के बजाय लोग रक्तदान करें. एम्स में भर्ती होते समय मरीज को ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है, तो डोनर की उपलब्धता पर ही भर्ती लिया जाता है. झारखंड में भी पुरानी धारणा को बदलने की जरूरत है.

-डॉ कामेश्वर प्रसाद, निदेशक, रिम्स

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar News Desk
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